फिक्स्ड इनकम वाले बाजारों में एफआईआई दिखा रहे हैं रूचि
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य इसके अन्य समकक्ष देशों से अलग है। जापान, यूरोप या यहां तक कि चीन का भी प्रदर्शन अच्छा नहीं है, और यहां तक कि अमेरिका में भी, इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि कुछ समय पहले जिस विकास की उम्मीद की जा रही थी, उस हिसाब से विकास नहीं हो सका। इसलिए ऐसे समय में, 7 प्रतिशत से अधिक की विकास दर दर्ज कराना निश्चित रूप से बहुत अच्छा है। यदि आप भीतर झांकें, तो देखेंगे कि पहले यह धारणा थी कि रिकवरी निवेश पर आधारित होगी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे खपत-आधारित रिकवरी की ओर बढ़ रही है। साथ ही, मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, चालू खाता घाटा स्थिर बना हुआ है और इस प्रकार, बृहत् आर्थिक कारकों को देखने पर, एक देश के रूप में भारत का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है। इसलिए, भारतीय फिक्स्ड आय बाजारों में एफआईआई की भारी दिलचस्पी देखने को मिल रही है। हमें भारतीय फिक्स्ड आय बाजारों में एफआईआई की काफी रूचि क्यों दिखाई दे रही हैः बता रहे हैं, यूटीआई एमएफ सुधीर अग्रवाल के अनुसार
भारतीय फिक्स्ड आय में एफआई की रूचि
एफआईआई के नजरिये से देखने पर, हमारे घाटे नियंत्रण में हैं और विकास संख्याएं ऊंची हैं और केंद्रीय बैंकर मजबूत स्थिति में है, जो करेंसी में अधिक अस्थिरता नहीं होने देगा। चीन में, यील्ड तो है लेकिन करेंसी स्थिर नहीं है। जापान का ऋणात्मक रहना निश्चित रूप से चिंताजनक है और यही हाल यूरोप का भी है। एफआईआई के नजरिये से देखें तो यदि 4 प्रतिशत सालाना की दर से अवमूल्यन होता है, फिर भी एफआईआई को अच्छा लाभ होगा। भारत का प्रदर्शन अच्छा बना हुआ है और यह एक ऐसा देश है, जो समयानुसार आवश्यकता पड़ने पर और अधिक पैसों का निवेश कर सकता है। जहां तक इक्विटी की बात है, तो काॅर्पोरेट अर्निंग नंबर्स को लेकर कुछ चिंताएं हैं लेकिन कुल मिलाकर, हमारा प्रदर्शन अच्छा बना रहेगा। हम इक्विटी में फिर से एफआईआई के निवेश की रूचि देख सकते हैं लेकिन कुछ हद तक, यह इक्विटी को लेकर वैश्विक सोच पर निर्भर करेगा।