लखनऊ। राष्ट्र विरोधी नारे लगाने को लेकर  इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में आज बवाल हो गया। सीपीआइएम कार्यकर्ताओं और वकीलों के बीच जमकर मारपीट हुई जिसमें वामपंथी कार्यकर्ताओं समेत कई वकील जख्मी हो गए। पुलिस टीम ने स्थिति को काबू में किया। अधिवक्ता और सीपीआइएम की ओर से कर्नलगंज थाने में तहरीर दी गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माक्र्सवादी, कम्युनिस्ट पार्टी लिबरेशन समेत अन्य संगठनों की ओर से गुरुवार को कई मुद्दों को लेकर कलेक्ट्रेट में धरना दिया जा रहा था। धरने के दौरान वामपंथी कार्यकर्ता जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत अन्य आरोपियों को तत्काल रिहा करने व केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। इसी दौरान वहां कुछ वकील पहुंच गए। आरोप है कि अधिवक्ताओं ने धरना दे रहे लोगों से मारपीट शुरू कर दी जबकि वकीलों का आरोप है कि वहां पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे थे। धरने पर बैठे लोग भी वकीलों से मारपीट करने लगे। इससे नाराज कुछ वकीलों ने ईंट-पत्थर चलाते हुए तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। मारपीट और हंगामे से कलेक्ट्रेट का माहौल बिगड़ गया। हालांकि पुलिस ने किसी तरह हालात को संभाला और जख्मी लोगों को अस्पताल भिजवाया। कुछ देर बाद कर्नलगंज थाने पर कम्युनिस्ट पार्टी के कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस ने नाराज कार्यकर्ताओं को उचित कार्रवाई का आश्वासन देते हुए शांत कराया। अधिवक्ता हरेन्द्र मिश्रा और उनके साथियों ने वामपंथी कार्यकर्ताओं पर राष्ट्र विरोधी नारा लगाने का आरोप लगाया है। जबकि, सीपीआइएम के सचिव आशीष मित्तल ने वकीलों पर हमला करने का आरोप लगाते हुए कर्नलगंज थाने में तहरीर दी है। मामले में एसएसपी केएस इमेनुएल ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

इलाहाबाद में वकीलों के हमले की भाकपा (माले) ने निंदा की

लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने रोहित वेमुला-जेएनयू मामले में केंद्र सरकार की भूमिका के खिलाफ गुरुवार को वामपंथी दलों द्वारा इलाहाबाद कचहरी में आयोजित संयुक्त धरने पर वकीलों के हमले की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने हमला करने वाले वकीलों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य अरुण कुमार ने यहां एक बयान में कहा कि यह धरना भाकपा, माकपा, माले समेत छह वाम दलों के देशव्यापी आह्वान पर 23 से 25 फरवरी तक चलाये गये अभियान के समापन पर पहले से तय था। मुद्दा था – रोहित वेमुला-जेएनयू मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के निर्देश पर केंद्र सरकार के काम करने और पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया पर वकीलों के हमले का विरोध। धरने में ख्यातिप्राप्त लेखक दूधनाथ सिंह भी थे। धरने पर वकीलों द्वारा की गई मारपीट में महिलाओं समेत दसियों लोगों को काफी चोटें आईं।

उन्होंने कहा कि वकीलों ने न्याय दिलाने के बजाय खुद ही जज बन जाने और हमला करने की भूमिका उसी तरह अख्तियार कर ली है, जैसे संघ-भाजपा से जुड़ी ताकतें राष्ट्रवाद की आड़ में कर रही हैं। उन्होंने लखनऊ विवि में समाजशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष को भी एक सोशल साइट पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए तथाकथित राष्ट्रवादियों द्वारा निशाना बनाने और उन्हें अपमानित कर धमकी देने की भर्त्सना की।