लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी
संसद के संयुक्त सत्र को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सम्बोधित किया
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के साथ संसद के बजट सत्र की शुरूआत हुई। राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास के उदेश्य से काम कर रही हैं। राष्ट्रपति परंपरा के अनुसार बग्घी से संसद भवन पहुंचे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद चर्चा के लिए है हंगामे के लिए नहीं।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद को जनता की सर्वोच्च आकांक्षाओं का प्रतीक बताते हुए आज कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने साथ ही सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें ।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘लोकतंत्र में चर्चा का सिद्धांत ‘आ नो भद्रा कृत्वो यंतु विश्वत:’ होना चाहिए, अर्थात चर्चा में सभी वर्गो के लोगों के सुविचार शामिल किए जाने चाहिए। इस माननीय संस्था का सदस्य होना गौरव की बात तो है लेकिन इसके साथ महत्वपूर्ण दायित्व भी जुड़े हुए हैं। संसद का बजट सत्र शुरू होने पर दोनों सदनों के केंद्रीय कक्ष में होने वाली संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति की ओर से किये जाने वाले अपने पारंपरिक संबोधन में प्रणब ने कहा कि मेरी सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है।
लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरत है, न कि अवरोध पैदा करना। मैं सभी सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।
संसद के पिछले सत्रों में खासकर राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर बार बार कामकाज में व्यवधान उत्पन्न होने और सदन का समय नष्ट होने के संदर्भ में राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि उनकी सरकार का विकास सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में निहित है और यही सरकार का मूलभूत सिद्धांत है और सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य गरीबी हटाना है। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने गरीबी को हिंसा का सबसे बुरा रूप बताया था।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से निपटने के लिए कृत संकल्प है और आतंकवाद रूपी विश्वव्यापी खतरे को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर आतंकवाद विरोधी कठोर उपाए किए जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है और उन्होंने सभी सांसदों से अपील की कि वे सहयोग और आपसी सद्भाव के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि सरकार निर्भीक और सक्रिय विदेश नीति जारी रखे हुए है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के लिए पूंजी, प्रौद्योगिकी, संसाधन, उर्जा और कौशल की उपलब्धता बढ़ाकर राष्ट्रीय विकास को गति प्रदान करना है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लगातार अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी भारत में आर्थिक स्थायित्व बना हुआ है और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है। इसने बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मध्य भारत को विश्व की सबसे अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था बनाया है। सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सुधार किया है जिससे मजदूरी के प्रभावी संवितरण, अधिक पारदर्शिता एवं उत्पादक परिसम्पत्तियों का सृजन सुनिश्चित किया जा सके।
सरकार ने जब से कार्यभार संभाला है, ऊर्जा की कमी 4 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत हो गई है और सरकार का लक्ष्य 2018 तक सभी गांवों को बिजली पहुंचाना है। हमारे संविधान की पहली प्रतिबद्धता समावेशन के साथ सामाजिक न्याय है और सरकार की प्राथमिकता गरीब तथा पिछड़े हैं। सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए उसमें संशोधन किये हैं। मार्च 2017 तक देश के सभी 14 करोड़ जोत धारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दे दिये जायेंगे जिससे किसान अपनी जमीन के पोषक तत्वों की स्थिति का पता लगा सकेंगे ।