लखनऊ: राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने हरियाणा के जाट समाज द्वारा पिछड़े वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर चलाये जा रहें हिन्सात्मक आरक्षण को अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि इस तरीके अपनाकर राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुॅचाना व जनता को परेशानी में डालना अनुचित है। हरियाणा सहित कई राज्यों में जाट जाति अत्यन्त ही समृद्धिशाली, राजनैतिक रूप से ताकतवर व दबंग जाति है। जाट को ओ0बी0सी0 में शामिल करने से अन्य पिछड़ी व अतिपिछड़ी जातियों का हक मारा जायेगा। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा जाट आरक्षण का समर्थन करने की निन्दा करते हुए सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव को अतिपिछड़ों का हक मार बड़ा भाई बताया। दबंग जातियों को ओ0बी0सी0 में शामिल करने की मांग को सामाजिक न्याय की नजर से देखा जाना चाहिए न कि राजनैतिक चश्में से। 

श्री निषाद ने बताया कि हरियाणा की जाट जाति अत्यन्त ही ताकतवर जमीदार जाति है। जो ओ0बी0सी0 में शामिल करने को मानक को किसी भी हाल में पूरा नहीं करते। उन्होंने कहा कि हरियाणा की कुल आबादी में 25 प्रतिशत आबादी जाट जाति की है, जिसमें 87 प्रतिशत बड़े खेतिहर, 39 प्रतिशत रियल इस्टेट प्रापर्टीज के मालिक, 69 प्रतिशत हथियारों के लाईसेन्स धारी, 58 प्रतिशत आई0पी0एस0, 60 प्रतिशत आई0ए0एस0, 71 प्रतिशत एच0सी0एच0, 41 प्रतिशत गैस एजेन्सियों व 43 प्रतिशत पेट्रोल पम्पों के मालिक जाट जाति के है। राज्य की 21 प्रतिशत क्लास 1 व 2 की सेवाओं में जाटों का कब्जा है तथा 63 प्रतिशत जाट हरियाणा मंत्री मण्डल में मंत्री है तथा कईबार मुख्यमंत्री भी रह चुके है। वर्तमान में हरियाणा के जाट, महाराष्ट्र के मराठा, गुजरात के पाटीदार व आन्ध्र-तेलंगाना के कम्मा जाति द्वारा ओ0बी0सी0 में शामिल करने की मांग न्यायोचित नहीं है। 

श्री निषाद ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओ0बी0सी0 की तीन श्रेणियों में विभक्त कर अलग-अलग आरक्षण की सिफारिश किया है। माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इलाहाबाद ने 3 अक्टूबर, 2013 को अपने अन्तरिम निर्णय कहा कि जाट, कुर्मी, यादव जाति अपनी जनसंख्या से कई गुना आरक्षण का लाभ प्राप्त कर समुन्नत हो गयी है। जब कि मल्लाह, केवट, गड़ेरिया, भर, नाई, बारी, बढ़ई, लोहार, काछी, कोयरी, बिन्द, बियार, फकीर, मोमिन अंसार, माली, सैनी, नोनिया, राजभर आदि जातियां आरक्षण के लाभ वंचित है। न्यायालय के इस निर्णय को एस0एल0पी0 दाखिल कर सपा सरकार ने स्थगित कराकर अतिपिछड़ों के साथ सामाजिक अन्याय किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय समिति-2001 के अनुसार जब राजनाथ सिंह की सरकार ने ओ0बी0सी0 का तीन व एस0सी0 का दो श्रेणियों में विभाजन कर अलग-अलग आरक्षण को अमल में लाने का निर्णय लिया तो सपा ने अपने 67 विधायकों का ईस्तीफा दिलवाकर व मायावती ने भी विरोध किया। अतिपिछड़ों में फूट डालने के लिए मुलायम ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का पोलिटिकल स्टण्ट खड़ा कर दिया। उन्होंने मुलायम को अतिपिछड़ों का सबसे बड़ा विरोधी व दुश्मन करार देते हुए अतिपिछड़ों का हक मारने वाला नेता बताया।