भोजशाला में सकुशल संपन्न हुई पूजा और नमाज
नई दिल्ली: भोजशाला में ‘बसंत पंचमी’ के अवसर पर शुक्रवार को सुबह शांतिपूर्वक प्रार्थना शुरू हुई और पुलिस तथा प्रशासन की सूझबूझ के साथ नमाज भी अदा हो गई और पूरा मामला शांति के साथ निपट गया। हालांकि एक दक्षिणपंथी संगठन ने भोजशाला में कुछ सुरक्षाकर्मियों को कथित रूप से जूते पहने देखने के बाद उसके बाहर पूजा की। पुलिस का कहना है कि इस पूरे कार्यक्रम में करीब 15 हजार लोग इकट्ठा हुए और पूरा इलाका नियंत्रण में हैं।
इससे पहले, धर्म जागरण मंच के जिला प्रमुख गोपाल शर्मा ने कहा था कि, ‘‘हम पूजा करने के लिए भोजशाला के भीतर गए लेकिन जब हमने सुरक्षाकर्मियों को जूते पहने देखा, तो हमने उस जगह से बाहर आने का निर्णय लिया। हमने भोजशाला के सामने पूजा शुरू कर दी।’’ इस बीच, जिला कलेक्टर एस शुक्ला ने कहा कि 350 श्रद्धालुओं ने भोजशाला के भीतर मंदिर में पूजा की। उन्होंने बताया कि और श्रद्धालु पूजा के लिए अंदर आ रहे हैं।
किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए स्मारक को एक किले में बदल दिया गया था और वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।
भोज उत्सव समिति (बीयूएस) के नेता अशोक जैन ने दावा किया था कि प्रशासन सरकारी अधिकारियों से भोजशाला के भीतर पूजा करवा रहा है ताकि यह दिखाया जा सके कि सब सामान्य है। बड़ी संख्या में असल श्रद्धालु बाहर पूजा कर रहे हैं।
हिंदू भोजशाला को भगवती वाग्देवी :देवी सरस्वती: का मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद मानते हैं। आम दिनों में हिंदुओं को मंगलवार को पूजा करने की अनुमति होती है जबकि मुसलमान शुक्रवार के दिन नमाज अदा करते हैं। शेष दिनों में यह स्मारक सभी के लिए खुला होता है।
लेकिन बसंत पंचमी और जुम्मे की नमाज के आज के दिन एक साथ पड़ने के कारण विवाद पैदा हो गया है क्योंकि दोनों पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक में पहुंच को लेकर अपनी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। कई लोग इस स्मारक को ‘‘लघु अयोध्या’’ कहते हैं। वर्ष 2003, 2006 और 2013 में भी इसी प्रकार का संकट पैदा हुआ था जब शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी थी।
गौरतलब है कि धार की बीजेपी सांसद सावित्री ठाकुर ने बुधवार शाम विवादास्पद स्थल के पास प्रार्थना का आयोजन किया था और कहा था कि ‘मुस्लिम करीब की किसी मस्जिद में नमाज अदा कर सकते हैं और उन्हें यह जगह हिंदुओं को बसंत पंचमी पर प्रार्थना के लिए दे देनी चाहिए।’
बसंत पंचमी से पहले दक्षिणपंथी नेता विजय सिंह राठौर के बयान के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है। राठौर ने मांग की थी कि पिछले महीने एएसआई की ओर से जारी आदेश के बावजूद हिंदुओं को पूजा करने के लिए सुबह से शाम तक प्रवेश की अनुमति दी जाए। हिंदू भोजशाला को सरस्वती का मंदिर मानते हैं, वहीं मुसलमान इसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं। इस बीच कांग्रेस ने दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे केवल हिंदू और मुसलमानों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए वहां जा रहे हैं।