जाको राखे साइयां मार सके न कोय
सियाचिन में बर्फ में दबा जवान छह दिन बाद जिंदा मिला
जम्मू: दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान में एक चमत्कार हो गया। चमत्कार ऐसा कि किसी ने जो उम्मीद नहीं की थी वैसे ही हो गया। 3 फरवरी को सियाचिन के उत्तरी ग्लेशियर में बर्फ की तूफान में 10 जवान दब गए थे। किसी के भी जिंदा बचे होने की उम्मीद नहीं थी शायद इसीलिए प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक ने इन बहादुरों को श्रद्धांजलि दे चुके थे। लेकिन जिसने ठान ली हो कि उसे मौत को हराना हो तो फिर कौन उससे जीत सकता है। इस बहादुर सिपाही को इलाज के लिए दिल्ली में स्थित सेना के आर एंड आर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बहादुर सिपाही को दिल्ली में इलाज के लिए भर्ती कराये जाने की खबर के बाद इनसे मिलने अस्पताल पहुंचे।
दसों जवानों में से एक मद्रास रेजीमेंट के हनुमंतथप्पा को सोमवार रात जिंदा निकाला गया। 25 फुट मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा सेना का ये जवान चामत्कारिक रूप से छह दिनों बाद जिंदा मिला। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। जवान को इलाज के लिए दिल्ली लाया जा चुका है और इलाज के लिए सेना के आर एंड आर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि दुखद है कि अन्य सैनिक हमारे साथ नहीं हैं, उन्होंने उम्मीद जताई कि कर्नाटक के रहने वाले थप्पा के साथ एक और चमत्कार हो। ऐसी ही दुआ आज देश का हर आदमी कर रहा है।
हनुमंनथप्पा के ज़िंदा होने की खबर को सुनकर परिवार बहुत खुश है। उनकी पत्नी इस खबर को सुनते ही भगवान का शुक्रिया अदा करने सीधा मंदिर पहुंची।
जहां पर ये बर्फानी तूफान आया आया वो जगह करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर है। वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहता है। सेना को ये सफलता चौबीसों घंटे चलाए गए अभियान के बदौलत मिली है। इसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम ही है। सेना इस बचाव अभियान में दो खोजी कुत्ते की भी जान चली गई है।
सेना का ये लांस नायक कर्नाटक के धारवाड़ जिले का रहने वाला है। अब तक वहां से पांच शव बरामद किए जा चुके हैं। बाकी बचे हुए शवों को आज निकाल लिया जाएगा।