यू0पी0 में भी लागू हो कर्पूरी ठाकुर फार्मूला: लौटन राम निषाद
लखनऊ । बिहार, पं0 बंगाल, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडू, हरियाणा, कर्नाटक आदि राज्यों में पिछड़े वर्ग का दो या दो से अधिक श्रेणियों मंे विभाजन कर अलग-अलग अरक्षण की व्यवस्था की गयी है, परन्तु उ0प्र0 में अन्य पिछड़े वर्ग की मात्र एक सूची होने के कारण अधिकांश पिछड़ी जातियाँ विशेषकर अत्यन्त पिछड़ी जातियाँ सामाजिक न्याय व आरक्षण के लाभ से वंचित हो रही हैं। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व समाजवादी पार्टी के नेता चै0 लौटन राम निषाद ने कहाकि जब देश के अधिकांश बड़े राज्यों में पिछड़े वर्ग का वर्गीय विभाजन कर अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था की गयी है तो उ0प्र0 में पिछड़े वर्ग का उपवर्गीय विभाजन क्यों नहीं? उन्होंने उ0प्र0 में भी कर्परी ठाकुर आरक्षण फार्मूला लागू कर अतिपिछड़ी, अत्यन्त पिछड़ी व विमुक्त जातियों को अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहाकि बेसक नेता जी पिछड़ों के नेता है और यादव अन्य पिछड़ी जातियों के बड़े भाई है तो नेता जी को बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए अतिपिछड़ों को सामाजिक न्याय व राजनैतिक सम्मान देकर विश्वास में लिये जाने का कदम उठाया जाना चाहिए।
श्री निषाद ने कहाकि ऐसा लगता है कि वर्तमान में समाजवादी पार्टी को अतिपिछड़ों, निषाद-मछुआरों की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि वर्तमान में अतिपिछड़ा वर्ग अत्यन्त उपेक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय निषाद संघ निषाद मछुआरा समाज का एक प्रमुख संगठन है और उ0प्र0 में सैकड़ों सीटों को हराने जीतने के ताकत रखता है, लेकिन नेता जी व मुख्यमंत्री जी से मिलने का दो वर्षों से प्रयास किये जाने के बाद भी अभी तक मिलने का समय नहीं मिल पाया। यदि इतना प्रयास किया गया होता तो अमेरिका के राष्ट्रपति से मिल लिया गया होता। उन्होंने कहाकि नेता जी की तमाम हिदायतों के बाद भी इनके सहवर्ती अपने क्रियाकलाप में सुधार नहीं कर रहे है जो पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
श्री निषाद ने बताया कि उ0प्र0 के जातिगत समीकरण में अन्य पिछड़े वर्ग की संख्या 54.5 प्रतिशत है, जिसका 19.40 प्रतिशत संख्या यादव जाति की है। पिछड़े वर्ग की जनसंख्या में कुर्मी-7.56, निषाद/मछुआरा समूह-12.91 प्रतिशत, लोधी/किसान-6.06, कोयरी/काछी/शाक्य/मौर्य/सैनी-8.35 प्रतिशत, गडेरिया/पाल-4.43 प्रतिशत, तेली/साहू-4.03 प्रतिशत, कुम्हार/प्रजापति-3.42 प्रतिशत, जाट- 3.62, नाई/सविता-3.01, राजभर-2.44, नोनिया/चैहान-2.33, बढ़ई/विश्वकर्मा-2.37, लोहार-1.94, भुर्जी/कांदू-1.44, गुर्जर-1.71 प्रतिशत है। कुल जनसंख्या में यादव-10.48 प्रतिशत, अतिपिछड़ी जातियाँ -10.22 प्रतिशत तथा अत्यन्त पिछड़ी जातियाँ-33.34 प्रतिशत है, लेकिन अतिपिछड़ी व अत्यन्त पिछड़ी जातियाँ हर क्षेत्र में उपेक्षित है। उन्होंने कहाकि निषाद, लोधी, किसान जाति को कैबिनेट में स्थान न देकर मात्र 5 लोगों को राज्यमंत्री बनाकर दोयम दर्जे का बर्ताव किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि यदि सपा ने अतिपिछड़ों व जमीन से जुड़े अतिपिछड़े नेताओं की इसी तरह उपेक्षा करती रही है तो 2017 में सपा के सामने कठिनार्ठ उत्पन्न हो जायेंगी।