मोदी का विरोध करने वाले दलित छात्रों को परेशान किया तो बड़ा आंदोलन

लखनऊ। रिहाई मंच ने अम्बेडकर विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जातिवादी स्वर्ण छात्रों को इकठ्ठा कर नरेंद्र मोदी का विरोध करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन करवाने को संघ परिवार के दलित विरोधी एजंेडे को लागू करने का सबसे घिनौना उदाहरण बताया है। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मोदी का विरोध करने वाले छात्रों की डिग्री देने में आनाकानी की गई या उन्हें किसी भी तरह से परेशान किया गया तो बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।

लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर इस प्रकरण पर आयोजित बैठक में मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरह अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्राॅक्टर कमल जायसवाल और डीएसडब्लू रिपुसूदन सिंह ने ‘मोदी गो बैक’ का नारा लगाने वाले दलित छात्रों के खिलाफ स्वर्ण जागरण मंच का बैनर लगाया और एबीवीपी से जुड़े दलित विरोधी तत्वों को बुलवाकर दलित छात्रों के खिलाफ प्रदर्शन किया वह साबित करता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मनु का दलित विरोधी एजेंडा लागू करने पर उतारू है। उन्होंने इस दलित विरोधी आयोजन की स्वीकृति देने वाले वाइसचांसलर प्रो0 आरसी सोबती, प्रोक्टर और डीएसडब्लू को तत्काल निलम्बित करने की मांग करते हुए कहा कि इन तीनों दलित विरोधी अपराधियों ने जिस तरह से जातिवादी स्वर्ण छात्रों को इकठ्ठा किया, जातिवादी बैनर लगाए और दलितों के लिए बनाए गए सिद्धार्थ छात्रावास में जुलूस ले जाकर दलित विरोधी नारे लगाते हुए उन्हें डराया गया वह एक आपराधिक कृत्य है। जिसके खिलाफ इन तीनों समेत वहां मौजूद छात्रों को शिनाख्त करके उन पर दलित ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।

बैठक को सम्बोधित करते हुए रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि इस पूरे मसले पर जिस तरह प्राॅक्टर कमल जायसवाल बयान दे रहे हैं कि अगर विरोध नहीं हुआ होता तो मोदी विश्वविद्यालय को कुछ दे कर जाते, वह कमल जायसवाल के लालची स्वभाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की भूमिका चरित्र निमार्ण की होनी चाहिए जो छात्रों को अपने अधिकारों और इंसाफ की रक्षा के लिए आवाज उठाने की सीख दे ना कि उन्हें लालची और दलाल बनाए। राजीव यादव ने कहा कि इस मसले पर चैतरफा निंदा झेल रहा विश्वविद्यालय प्रशासन अब कैम्पस के अंदर दलितों के खिलाफ पिछड़ी जातियों को खड़ा करने की साजिश रच रहा है और इसीलिए बीबीएयू में दलितों के 50 प्रतिशत आरक्षण में कटौती कर पिछड़ों को देने की बहस चला रहा है। जबकि बीबीएयू में दलितों को 50 प्रतिशत आरक्षण संवैधानिक प्रावधान के तहत दिया जाता है जिसे किसी भी कीमत पर नहीं खत्म किया जा सकता। उन्होंने प्राॅक्टर कमल जायसवाल द्वारा छात्रों की काउंसिलिंग करने की खबर पर टिप्पणी की कि कांउसिलिंग की जरूरत कमल जायसवाल जैसे लोगों को है जो दलित विरोधी मनुवादी कंुठा से बीमार हैं। वहीं मंच के नेता शबरोज मोहम्मदी ने बीबीएयू प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर मोदी का विरोध करने वाले दलित छात्रों को किसी भी तरह से परेशान किया गया या उनकी डिग्री रोकने की कोशिश की गई तो इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा।

बैठक में इंसाफ अभियान के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चैधरी, सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, शबरोज मोहम्मदी, शरद जायसवाल, हरेराम मिश्र, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता संतोष सिंह, शोधार्थी श्रीकांत पांडेय, शकील कुरैशी आदि उपस्थित थे।