भारत में 11 में से 9 राज्य शिशु मृत्युदर (आईएमआर) में सालाना 2 प्वाइंट की भी कमी लाने में सफल नहीं रहे हैं। क्राई द्वारा कराए गए एनएफएचएस 4 के बाल स्वास्थ्य संकेतकों के विश्लेषण के अनुसार सिर्फ दो राज्य ही आईएमआर में 2 प्वाइंट तक की कमी लाने में सफल नहीं रहे हैं। ये राज्य हैं पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा। भारत में मौजूदा समय में 1000 नवजात में से 40 बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते हैं

भारत के स्वास्थ्य संकेतकों पर इस बहुप्रतीक्षित सर्वे को लगभग एक दशक बाद हाल में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया। जहां इसकी  रिपोर्ट में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार को दर्शाया गया है वहीं सालाना आधार पर उनके विकास की दर चिंताजनक बनी हुई है। 

पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पोषण की स्थिति में कुछ सुधार का संकेत मिलता है। जहां बच्चों में कम वजन और कम ऊंचाईए दोनों के अनुपात में कमी देखी गई है वहीं कमज़ोर एवं दुर्बल बच्चों का अनुपात 11 में से 6 राज्यों में बढ़ा है। इन 6 राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तराखंडए हरियाणा, कर्नाटक, गोवा और सिक्किम शामिल हैं।

भारत सरकार की सराहनीय पहल ‘मिशन  इंद्रधनुष’ का मकसद शत.प्रतिशत टीकाकरण हासिल करना है जो एनएफएचएस द्वारा पेश किए गए टीकाकरण के आंकड़ों को देखते हुए मुश्किल लग रहा है। देश के 11 राज्यों में से 8 (तमिलनाडु, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड त्रिपुरा, कर्नाटक, गोवा, मध्यप्रदेश, सिक्किम) राज्यों में प्रत्येक 3 में से 1 बच्चा संपूर्ण रूप से टीकाकरण से वंचित रह जाता है। इसमें यह भी कहा गया है कि ये राज्य अपने नियमित टीकाकरण कवरेज में हर साल 2 फीसदी का भी इजाफा करने में सक्षम नहीं रहे हैं। मिशन इंद्रधनुष के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयास में राज्य सरकार को विभिन्न एंटीजन के बीच कमी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बीसीजी और खसरे जैसे जीवनरक्षक टीकों के दरम्यान वंचित रहने के 15 प्रतिशत के आंकड़े के साथ हरियाणा, मेघालय और त्रिपुरा ने इस संदर्भ में बड़ी कमी दर्ज की है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में डीपीटी और पोलियो की विभिन्न खुराकों के अंतराल में डीपीटी की तुलना में पोलियो के टीकों से वंचित रहने का प्रतिशत 17 है।