स्टार्ट अप के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का कोष
प्रधानमंत्री ने पेश किया स्टार्ट अप एक्शन प्लान
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्ट अप कारोबारियों के लिए तीन साल की टैक्स छूट, पूंजीगत लाभ टैक्स से छूट, इंस्पेक्टर राज मुक्त वातावरण और वित्तपोषण के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने सहित कई तरह के प्रोत्साहनों की घोषणा की। पीएम मोदी ने नौ श्रम और पर्यावरण कानूनों के अनुपालन के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन योजना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उद्यम शुरू होने के पहले तीन साल के दौरान कोई जांच नहीं की जाएगी।
देश में इनोवेटिव सोच के साथ आने वाले तकनीक आधारित इन नए उद्यमों के लिए एक उदार पेटेंट व्यवस्था भी लाई जाएगी। पेटेंट रजिस्ट्रेशन में इन उद्यमों को रजिस्ट्रेशन शुल्क में 80 प्रतिशत छूट दी जाएगी। स्टार्ट अप उद्यमियों के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें बढ़ावा देने के वास्ते एक कार्य योजना की घोषणा की। इन उद्यमों को देश में संपत्ति और रोजगार सृजन करने वाले अहम क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है।
दुनियाभर में स्टार्ट अप की तीसरी बड़ी संख्या भारत में है। सरकार इन उद्यमों को सरकारी खरीद ठेके लेने के मामले में भी मानदंड में कई तरह की छूट देगी। स्टार्ट अप उद्यमों को सरकारी ठेकों में अनुभव और कारोबार सीमा के मामले में छूट दी जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा आज देश के युवा आपको देख रहे हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि सरकार ये करेगी तो ये होगा। मेरी सोच अलग है, मेरी सोच ये है कि सरकार ये नहीं करेगी, तो इतना कुछ हो जाएगा। इसलिए हम अब ना करने का निणर्य करें तो ये लोग 10 साल में देश को कहां से कहां पहुंचा दें।
पीएम इन ने कहा हर चीज की कहीं शुरुआत होती है और जो करता है उसको ही दिखता है कि क्या होने वाला है, क्योंकि बाकियों के लिए तो वो पागल है। 23 साल का कोलंबस जब निकला होगा तो सबने कहा होगा कि क्या मिलेगा। लेनिक उसने सोच रखा होगा कि उसे दुनिया को एक नया रास्ता देना है। स्टार्टअप के साथ रिस्क लेने की प्रवृत्ति और एडवेंचर भी शामिल होते हैं। जो पैसे कमाने के इरादे से आता है उसे कामयाबी नहीं मिलती, लेकिन जो कुछ करने के इरादे से आता है, पैसा उसके लिए बाईप्रोडक्ट है।
उबर कुबेर बन गया, उसने पहले सोचा होगा कि लोगों की समस्या का समाधान कैसे करूं, सस्ते में कैसे करूं। आज उसने कर दिखाया। नई चीजों की खोज के मूल में कुछ नया करने का इरादा होता है, बात की गहराई में जाने की ललक होती है लेकिन सबसे बड़ी चीज उसके अंदर एक संवेदना होती है। संवेदना दूसरों की समस्या के लिए होती है और वो उसे सोने नहीं देती है। उसे लगता है कि वो क्या कर सकता है।
आपका ये स्टार्टअप अभियान बैंक बैलेंस और पैसे से जुड़ा नहीं है, बल्कि जनसामान्य को सुविधा दिलाने से जुड़ा है। आम आदमी समस्या देखकर जूझेगा और सरकार को कोसेगा, कोई मीडिया वाला होगा तो वो रिपोर्ट कर देगा। लेकिन इससे समस्या बनी रहेगी। लेकिन जिसके मन में संवेदना होगी और वह जानकार होगा तो वह सोचेगा कि इस समस्या से कैसे निपटें और वह उसके लिए कुछ करेगा।
हम जब मेक इन इंडिया कहते हैं तो उसमें मेक फॉर इंडिया भी है। लेकिन हम चाहते हैं कि वो फूलप्रूफ कैसे हो, सामान्य लोगों के लिए आसानी से कैसे उपलब्ध हो, हमें ये भी देखना है। एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाना है, युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देनेवाला बनना चाहिए। समय की मांग क्वालिटी एजुकेशन है, मैं ऐसी कौन सी टेक्नोलॉजी निकालूं कि अमीर लोगों को जो शिक्षा मिलती है वो दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों को भी मिल सके।
इस मौके पर कई नए कारोबारियों ने जिन्होंने अपनी शुरुआत बिल्कुल नए तरीके से की थी उन्होंने अपनी राय रखी। कार्यक्रम में वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ कई युवा कारोबारी भी मौजूद थे।
शुरुआती कार्यक्रम का उद्देश्य देश के युवाओं की उद्यमी भावना का उत्सव मनाना है और इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रमुख स्टार्टअप के संस्थापक व सीईओ भाग ले रहे हैं।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य बैंकों को स्टार्टअप उपक्रमों के वित्तपोषण को प्रोत्साहित करना तथा उद्यमशीलता और रोजगार सृजन प्रोत्साहन की पेशकश करना भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस अभियान की घोषणा की थी।