उत्तराखण्ड के संस्कृति की नींव बहुत गहरी है: नाईक
राज्यपाल ने उत्तरायणी मेला ‘कौथिग-2016‘ का उद्घाटन किया
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज गोमती नदी तट पर स्थित गोविन्द बल्लभ पंत उपवन में पर्वतीय महापरिषद द्वारा आयोजित उत्तरायणी मेला ‘कौथिग-2016‘ का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर सुरेश चन्द्र पंत को अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह व सम्मान राशि देकर ‘पर्वत गौरव‘ सम्मान से विभूषित किया।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड आकार की दृष्टि से चाहे छोटा हो लेकिन उसकी संस्कृति की नींव बहुत गहरी है। भारत की संस्कृति का जो वट वृक्ष बना है उसका पौधा उत्तराखण्ड में रोपा गया है। हिमालय की गोद और गंगा की धारा से निकली उत्तराखण्ड की संस्कृति श्रेष्ठ है। वहाँ की भाषा, वेशभूषा, खान-पान और शूरता अपने आप में विशेष है। उत्तराखण्ड के लोग अपनी संस्कृति को नहीं भूले। वे सम्मान भी देते हैं तो पर्वत गौरव के नाम से देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे गौरव पर्वत सम्मान पाने वाले सुरेश चन्द्र पंत से प्रेरणा लेकर समाज सेवा का संकल्प लें।
श्री नाईक ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोगों ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1857 के स्वतंत्रता समर को वीर सावरकर ने आजादी की पहली लड़ाई माना था। स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय संस्कृति की ओज शिकागो सम्मेलन में प्रस्तुत किया था। जिस भाव से उन्होंने अपने सम्बोधन में भाईयों और बहनों कहा था उससे नयी चेतना पैदा हुई। स्वामी जी ने कहा था कि हम ऐसे देश और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं कि जिसमें सब को समाहित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को हम धरोहर के रूप में देखते हैं।
कार्यक्रम में गणेश जोशी महासचिव पर्वतीय महापरिषद ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा नारायण पाठक ने सुरेश चन्द्र पंत का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सुरेश चन्द्र पंत ने भी अपने विचार रखें।