स्कूल की पहचान वहाँ से निकलने वाले छात्रों से होती है: राज्यपाल
लखनऊः स्कूल की बिल्डिंग देखी, क्लासेज देखे, कम्प्यूटर और म्यूजिक रूम देखा। काश मुझे भी इतना अच्छा स्कूल पढ़ने को मिलता तो मैं कहाँ से कहाँ पहुंच जाता। मैं तो गांव के एक छोटे स्कूल में पढ़ा हूँ जहाँ मेरे पिताजी मुख्य अध्यापक थे। उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री राम नाईक ने आज बक्शी का तालाब स्थित मिलेनियम स्कूल की दूसरी शाखा के उद्घाटन के उपरान्त व्यक्त किये। इस अवसर पर लखनऊ के महापौर डाॅ0 दिनेश शर्मा, सांसद श्री कौशल किशोर, विधायक श्री गोमती यादव, मुरलीधर रामनारायण एजूकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष टी0सी0 अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा देकर बच्चों को देश के लिए एसेट के रूप में विकसित करें। ऐसी शिक्षा देने की आवश्यकता है जिससे मानवता का विकास हो और देश के काम आ सके। वर्ष 2020 तक भारत सबसे बड़ा युवा शक्ति वाला देश होगा। पीढ़ी का फर्क समझते हुए मातृभाषा का ध्यान अवश्य रखें। बच्चों में भारतीय परम्परा का ज्ञान देते हुए बड़ों का सम्मान करना सिखायें। सद्गुणों से आकर्षण बढ़ता है इसलिए गुणवत्ता बनाये रखें। उन्होंने कहा कि स्कूल की पहचान वहाँ से निकलने वाले छात्रों से होती है।
श्री नाईक ने कहा कि अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी भाषा का भी प्रयोग बराबर होना चाहिए। बच्चों में मातृभाषा के प्रति गौरव होना चाहिए। पुरानी परम्पराओं से अच्छी बातें लेकर नयी परम्पराओं से जोड़ा जा सकता है। सुधार के प्रति सदैव जागृत रहें। शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों से भी निरन्तर संवाद बनाने से एकात्मता का भाव बढ़ता है।
महापौर लखनऊ डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए अच्छा अध्यापक होना जरूरी है। बच्चों की प्रतिभा को बस्ते के बोझ से न दबायें। शिक्षण संस्थानों की फीस का स्तर ऐसा हो कि आम आदमी का बच्चा भी प्रवेश पा सके। उन्होंने नैतिक शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि पुस्तकीय ज्ञान और प्रयोगिक ज्ञान मिलकर बच्चे को श्रेष्ठ बनाता है।