अप्रतिम साहित्यकार थे रविंद्र कालिया: रवि शंकर पांडेय
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में दिवंगत साहित्यकार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित
लखनऊ: सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अपर निदेशक और प्रसिद्ध कवि रवि शंकर पांडेय की अध्यक्षता में उनके कक्ष में हुई। श्रद्धांजलि सभा में रवि शंकर पांडेय ने कहा कि रविंद्र कालिया अप्रतिम साहित्यकार थे, उन्होंने कहा कि इलाहाबाद प्रवास के दौरान उन्होंने रविंद्र कालिया के साथ जो समय बिताया वह यादगार साहित्यिक पल हैं। रविंद्र कालिया बेहद सादे, निश्छल व्यक्ति थे, उन्होंने ’वागार्थ’ पत्रिका के सम्पादक के रूप में जिस हीरा लाल हलवाई की कविताएं प्रकाशित कर दीं, वह उनके साहित्यिक साहस की शानदार मिसाल है।
श्री रवि शंकर पांडेय ने उनके देहांत को अपनी निजी क्षति बताते हुए कहा कि कवि के रूप में उनका उत्साह बढ़ाने में उन्होंने जो भूमिका अदा की, उसके वह हमेशा ऋणी रहेंगे। श्रद्धांजलि सभा में डा. वजाहत हुसैन रिजवी ने गोरखपुर में आकाशवाणी में उन्होंने उनके साथ जो कार्यक्रम किया, उसकी यादें अभी भी ताज़ा हैं, वह बेहद उम्दा व्यक्तित्व के मालिक थे और उनकी भाषा हिंदुस्तानी थी। राजेन्द्र यादव ने कहा कि वह उनकी लेखनी से बहुत प्रभावित थे, रविंद्र कालिया के साथ अपनी मुलाकतों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्यकार के रूप में उनकी ख्याति के अनुरूप ही बेहद प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक भी थे। गजाल जैगम ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार का एक सदस्य खो दिया है, रविंद्र कालिया के घर परिवार से उनका नाता बिल्कुल उसी तरह था जैसे अपने घर का। उनकी मौत से उन्होंने अपने परिवार के बुजुर्ग को खो दिया है, उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में उनके घर पर उन्होंने ममता कालिया और रविंद्र कालिया के साथ काफी समय गुजारा, वह यादेें अभी भी ताजा हैं, उनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा और कथा लेखन में उनकी शैली ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। सुहेल वहीद ने कहा कि रविंद्र कालिया हिंदी के शायद एकमात्र साहित्यकार थे जिनके अंदर उर्दू की बज़ला संजी कूट कूट कर भरी हुई थी और इसीलिए उनकी भाषा बहुुत सुंदर है, शराब को जितना गालिब ने ग्लैमराइज किया उनके बाद रियाज खैराबादी और फिर रविंद्र कालिया ने किया। श्रद्धांजलि सभा में अशोक कुमार बनर्जी, अतुल मिश्र और अन्य लोगों ने भी भाग लिया।