पठानकोट: अगवा एसपी ने सुनाई आपबीती
नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस पर हमले से पहले आतंकियों ने जिस एसपी को अगवा कर उनकी गाड़ी छीनी थी, उन्होंने आपबीती सुनाई है। एसपी ने ऐसे कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं जिनसे खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ गई हैं। सलविंदर सिंह ने कहा कि सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने उन्हें और उनके दोस्तों कों गुरुवार देर रात किडनैप किया गया था। आतंकियों ने बाद में, एसपी सलविंदर सिंह और उनके कुक को छोड़ दिया लेकिन उनकी कार को लेते गए।
एसपी सलविंदर सिंह ने बताया कि चार-पांच आतंकियों ने उनकी गाड़ी रोकी और उन्हें अगवा कर लिया था। उन्होंने बताया कि आतंकी फौज की वर्दी में थे और उनके पास एके 47 थी। गाड़ी में एसपी के एक दोस्त (जो गाड़ी भी चला रहे थे) और कुक भी था। आतंकियों ने राइफल उनके सिर पर सटा रखी थी और एसपी, उनके साथियों से मारपीट की।
सलविंदर ने आपबीती सुनाते हुए कहा जिस वक्त ये घटना हुई उस वक्त वो नए साल के मौके पर अपने एक दोस्त के साथ मजार पर मत्था टेकने गए थे। इस वजह से उनके साथ कोई सुरक्षाकर्मी और उनका सरकारी हथियार भी नहीं था। अगर मेरे पास हथियार होता तो आतंकियों से लोहा लेता। एसपी ने कहा कि वह पीड़ित हैं, संदिग्ध नहीं।
एसपी ने बताया कि आतंकियों ने उनका फोन भी इस्तेमाल किया। उन्होंने खुलासा किया कि आतंकी हिंदी और उर्दू में बात कर रहे थे। आतंकियों ने पाकिस्तान भी बातचीत की लेकिन उर्दू न समझ पाने की वजह से वे ये नहीं जान सके कि आतंकियों ने क्या बातचीत की। एसपी ने बताया कि आतंकी जीपीआरएस का इस्तेमाल कर रहे थे। एसपी और उनके दोस्त ने यह बताया। एसपी ने कहा कि उन्होंने हमसे रास्ता नहीं पूछा।
एसपी ने कहा कि आतंकियों ने उनकी आंख पर पट्टी बांध दी थी। गाड़ी छीनने के बाद उन्होंने उनसे और उनके कुक से अगली सुबह तक वहीं रहने को कहा। आतंकियों ने कहा कि अगर वो वहां से गए तो वह उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। एसपी ने कहा कि आतंकी नहीं जानते थे कि उन्होंने एक एसपी की कार अगवा की है।
एसपी ने कहा कि आतंकियों ने उनका मोबाइल (एसपी के बेटे का था) छीन लिया। एसपी ने खुलासा किया है कि आतंकी उन्हें गाड़ी समेत अगवा करके ले जा रहे थे तब पुलिस ने एक नाके पर गाड़ी रोकी थी। गाड़ी की बाहर से जांच भी की थी, लेकिन ठीक से तलाशी नहीं ली। वहां एक आतंकी ने पुलिस से एयरफोर्स बेस का पता भी पूछा था।
एपी के दोस्त राजेश वर्मा के अनुसार, अगवा एसपी सलविंदर सिंह को अकालगढ़ के पास छोड़कर जब आतंकी आगे बढ़ रहे थे तब गाड़ी चला रहे एसपी के दोस्त राजेश वर्मा का हाथ हूटर पर लग गया, जिससे हूटर बज पड़ा। जिस समय हूटर बजा, उस समय आतंकी एसपी के फोन से ही पाकिस्तान स्थित अपने आका से बात कर रहे थे।
एसपी ने बताया कि सभी आतंकी 18 से 22 साल की उम्र के थे। उनकी ट्रेनिंग इतनी पुख्ता थी कि वह पल भर में गाड़ी की नीली बत्ती उतारते थे और चढ़ाते थे। आतंकियों ने राजेश से पूछा कि गाड़ी किसकी है। एसपी क्या होता है? फिर पूछा, कहीं डीएसपी को तो नहीं कहा जाता? वर्मा ने कहा, हां। इस पर आतंकवादियों ने वर्मा को गाड़ी तेज चलाने के निर्देश दिये।
हूटर की आवाज सुनकर आका ने बताया था, किसी अधिकारी की गाड़ी है। उसे ढूंढकर खत्म करो। आका का निर्देश मिलते ही फोन पर बात करने वाले आतंकी राजेश को गाड़ी वापस मोडऩे को कहा। जिस स्थान पर एसपी व उसके कुक मदन लाल को खड़े रहने के निर्देश दिए हुए थे वहां पर जब एसपी नहीं मिला तो गुस्साए आतंकियों ने राजेश वर्मा का गला रेत कर उसे मारने की कोशिश की।
आतंकियों ने राजेश वर्मा से कहा कि हमने तुम्हारे दोस्तों से अगली सुबह तक यहीं रहने को कहा था लेकिन उन्होंने हमें धोखा दे दिया। अब इसकी सजा तुम्हें भुगतनी होगी। तुम्हें जन्नत नसीब हो। ये कहकर आतंकियों ने राजेश वर्मा का गला काट दिया और उन्हें मरा छोड़कर चले गए। राजेश वर्मा ने इसके बाद पास के गांव जाकर मदद ली और अपने ससुर को फोन किया।