सकारात्मक सोच का संदेश दे गया बुक फेयर
योगेश की किताब ‘समय के आलेख’ रही सबसे हिट, आखिरी शाम हुआ व्यंग्यकारों का हुआ सम्मान
लखनऊ। भले ही सूचना प्रौद्योगिकी ने क्रान्ति की हो पर कम्प्यूटर इंटरनेट के इस युग में पुस्तकों का महत्व कम नहीं हुआ है। पुस्तके पढ़ना मन को संतोष प्रदान करता है। पुस्तक मेला एक सकारात्मक सोच का परिणाम है। ये उदगार नगर प्रमुख डा.दिनेश शर्मा ने लखनऊ पुस्तक मेले का समापन करते हुए व्यक्त किए।
मोतीमहल वाटिका लान राणाप्रताप मार्ग पर लखनऊ मेले की थीम पर आधारित 17 दिसम्बर से चल रहे पुस्तक मेले में बाल व युवा प्रतियोगिताओं के विजेताओं और स्टाल धारकों को सम्मानित करते हुए डा.शर्मा ने कहा कि मनोज सिंह चंदेल ने किताबों के इस मेले के माध्यम से लखनवी संस्कृति को बनाए और बचाए रखा है। विराज प्रकाषन के प्रबंध निदेषक सुशील दुबे ने इस मौके पर कहा कि यह मेला हमें अपनी बौद्धिक विरासत और सम्पदा को संजोने की प्रेरणा देता है। शीला पाण्डेय के संचालन में चले समापन कार्यक्रम में सुलभ इंटरनेशनल के अविनाष कुमार, व्यंग्यकार सर्वेश अस्थाना इत्यादि उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत करते हुए संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि मेले में जहां लाखों की किताबें बिकीं वहीं सामान्य दिनों में पांच-छह हजार और छुट्टियों में आठ से 10 हजार पुस्तक प्रेमियों की आमद रही। सबसे खास बात यह कि साहित्यिक और कलात्मक आयोजनों ने पुस्तक मेले को और भी विषिश्ट बना दिया। लखनऊ मेट्रो के साथ जुड़ने से जहां आम नागरिक भी पुस्तक मेले से जुड़े वहीं डाक विभाग द्वारा पुस्तक मेले और मेट्रो पर संयुक्त रूप से जारी विशेष आवरण एक उपलब्धि की तरह लिया जाना चाहिए। पुस्तक मेले में साहित्य भण्डार इलाहाबाद, भारतीय ज्ञानपीठ, प्रभात प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, साहित्य भवन आगरा, राधाकृष्ण प्रकाशन, सामायिक प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, माक्र्समैन पब्लिकेशन, मिनहाजुल कुरान इंटरनेशनल, नीता मेहता बुक्स, सुनीता पब्लिकेशन, ड्रीम क्रिएटिव, आरुषि बुक, आकशवाणी, लखनऊ, अयोध्या शोध संस्थान, तनिशा बुक्स, पीपी बुक्स, गोमती एजेन्सीज़ आदि प्रकाशकों के लगभग 130 स्टाल थे। पुस्तक मेले में सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तकों में सामयिक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित लखनऊ के ही लेखक योगेश मिश्र की पुस्तक ‘समय के आलेख’ सबसे ऊपर रही। इस पुस्तक की 349 प्रतियां मेले के दौरान बिकीं। साहित्य और युवा विषयों की पुस्तकों की भी अच्छी बिक्री हुई।
प्रतियोगिताओं और बाल व नवयुवा गतविधियों के लिए जीविका अवस्थी, जाह्नवी, वंदिता झा, मृदुल दास, स्वर्णिका दास, चैतन्य पाण्डेय, चिन्मय, जयंतिका, अंशुमान सिंह , अवंतिका, रूपम, आर्यवर्धन पाण्डे, तुषिता, इना, भावना प्रजापति, अश्वित रतन, अनिशा, यथार्थ गांधी व सत्येन सिंह व इनोवेटिव बैण्ड आदि विजेताओं को एनपीसीआईएल की ओर से बदल गया बुधिया अन्य प्रेरक पुस्तकें भेंट की गईं। बांग्ला भाषा शिक्षक पार्थो सेन, उर्दू शिक्षक दिव्यरंजन पाठक, प्रतियोगिता संयोजक ज्योतिकिरन रतन, रजनीश राज, बजहाइपर्स के सुधीरकुमार वर्मा, कलास्रोत के अनुराग डिडवानी व मेला समन्वय के लिए अन्य लोगों को सम्मानित किया गया।
मेले में आज की शाम व्यंग्य लेखकों के नाम रही। यहां व्यंग्य लेखक समिति की ओर से आयोजित पंकज प्रसून के संचालन में कार्यक्रम में मेरठ के निर्मल गुप्त व सर्वेश अस्थाना को क्रमशः व्यंग्यकार 2015 व व्यंग्य कवि 2015 सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मानित रचनाकारों के साथ ही यहा। अलंकार रस्तोगी, अनूपमणि त्रिपाठी, इंन्द्रजीत कौर व परवेश जैन इत्यादि ने व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया।