केवल किसान दिवस मनाकर नहीं सुधरेगी किसानों की हालत: शेखर दीक्षित
लखनऊ: पूरे देश में आज किसान दिवस मनाया जा रहा है, चंद किसानों के गले में दुशाला पहनाकर सरकारें अपने आप को धन्य समझ रही हैं जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। किसान सरकारों के रवैये से परेशान होकर आत्महत्या कर रहा है। बीते तीन वर्षों में आत्महत्या के ग्राफ में खासा इजाफा हुआ है। उक्त उद्गार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने किसान दिवस पर जारी बयान में कही।
शेखर ने कहा कि किसानों को बुनियादी जरूरतें आजादी से 68 वर्ष बाद सरकारें नहीं दे पाई हैं। गांवों में शिक्षा-स्वास्थ्य की स्थिति बहुत भयावह है। पेयजल, बिजली, सड़क की हालत नियंत्रण के बाहर है। किसान हैरान, परेशान है। प्रदेश सरकार किसान वर्ष मना रही है। सूबे में तीन वर्षों से सूखा, अतिवृष्टि के हालात हैं। किसानों की फसल बरबाद हो गई। सरकार ने मुआवजे की घोषणा की लेकिन चंद किसानों तक ही यह राहत पहुंची। 80 से 90 फीसद राहत से वंचित हैं। नहरों में सिंचाई के लिए पानी तक नहीं है। ट्यूबवेल के लिए बिजली नहीं है। स्कूलों की दशा बद से बदतर है। स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हैं। इन हालातों में किसान दिवस का आयोजन करके कुछ किसानों को माला पहनाकर सम्मानित करना करोड़ों किसानों का उपहास उड़ाने जैसा है। शेखर ने कहा कि किसान दिवस पर किसानों को इमानदारी से मुआवजा दिया जाए। जिन किसानों ने आत्महत्या की है, उनके परिवारों को बसाया जाए। तभी किसानों के चेहरे पर खुशी झलकेगी। किसानों की पहले बुनियादी जरूरतें पूरी करना सबसे बड़ी चुनौती है।