आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा है प्रदेश का किसान: शेखर दीक्षित
गांधी प्रतिमा पर किसान मंच का ज़ोरदार प्रदर्शन
लखनऊ: किसान मंच ने आज गांधी प्रतिमा के निकट अपनी मांगों को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि प्रदेश का किसान आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर है सूबाई सरकार देश व प्रदेश के उदासीन रवैये के चलते बद से बदतर हालातों में जीने को मजबूर हैं। किसानों को खेती में लगातार नुकसान हो रहा है। किसानों को फसलों का लागत मूल्य भी वर्ष भर कड़ी मेहनत करने के बाद भी नहीं मिल पा रहा है, न ही सरकारें किसानों को डीजल, खाद, बीज, बिजली, समय पर उपलब्ध करवा रही है। जिसके चलते प्रदेश का किसान आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर है। दीक्षित ने कहा कि बेमौसम वर्षा एवं सूखे में किसानों की फसलें तबाह हो गई थीं। जिसके मुआवजे का एलान सूबाई सरकार ने किया था लेकिन थोड़े ही किसानों तक यह लाभ पहुंचा और अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। मुआवजे वितरण में कई तरह की धांधलियां उजागर हो रही हैं। आम किसान मुआवजे से महरूम है। किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिह ने कहा कि केन्द्र व प्रद्रेश सरकार दोनो ने ही किसानो कि उपेक्षा कर रही है किसान मंच इसे हरगिज़ बर्दाश्त नही करेगा। वही किसान मंच के नेता व कवि वेदवृत बाजपेयी ने कहा कि किसानो को सरकारे केवल वोट बैंक की तरह उपयोग कर रही है जिससे किसान बद से बदतर जीवन जीने को मजबूर है।
किसान मंच ने अपने मांग पत्र में आत्महत्या करने वाले किसानों को 15-15 लाख की मांग तथा परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी सेवा में रखने की मांग की। दीक्षित ने कहा कि मुआवजा वितरण में भ्रश्टाचार किया गया है, इसकी जांच कराई जाए। गन्ना किसानों का भुगतान अविलम्ब कराया जाए। किसान आयोग का गठन किया जाए। प्रत्येक किसानों को 2000 रुपए प्रति माह जीवन-यापन के लिए भत्ता दिया जाए। जब तक किसानों की माली हालत न सुधर जाए। गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रुपए प्रति कुंतल किया जाए। गेहूं, धान की फसलों का मूल्य डेढ़ गुना किया जाये।