पुस्तक मेले में पूरी हो रही है ख़ास पुस्तकों तलाश
लखनऊ। ‘मैं यहां वैदिक गणित की किताब खरीदने आया हूं।’- ये कहना है इण्टर स्टूडेण्ट विनायक का। मीनल कहती हैं- ‘मुझे हिन्दी-उर्दू डिक्शनरी की तलाश में यहां आना पड़ा।’ अर्शी बताती हैं- मुझे पेण्टिंग और कुकरी से रिलेटेड बुक्स चाहिए थी, आज आधी किताबें मिली हैं कल-परसों में बुक फेयर फिर आऊंगी।
मोतीमहल वाटिका लान राणाप्रताप मार्ग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में विनायक, मीनल और अर्शी की तरह उमड़े लोगों को अपनी पसंद की खास पुस्तकों की तलाश थी। मेले में कल अपराह्न आयोजित विशेष कार्यक्रम में डाक विभाग लखनऊ मेट्रो व लखनऊ पुस्तक मेले पर विशेष आवरण जारी करेगा।
मेले में आज चौथे दिन भी धूप चढ़ने के साथ ही पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई और शाम तक अनेक कार्यक्रमों के बीच किताबों की जमकर खरीद चली। मेले में खासकर महिला रुचि की पुस्तकों के स्टालों नीता मेहता बुक्स, बुक्स एन-एक्स, दीप बुक डिस्ट्रीब्यूटर, प्रभात प्रकाशन, राजा बुक्स, साक्षी प्रकाशन, यूनिकाॅर्न बुक्स, तनिशा बुक, पीपी बुक्स आदि के स्टालों पर लगातार भीड़ दिखी। पुस्तक मेले में हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत छूट खरीदारों को मिल ही रही है, इसके अलावा अलग-अलग प्रकाशनों पर अन्य छूट व स्कीमें भी पुस्तक प्रेमियों के लिए चल रही है।
मेले के मुख्यमंच पर आज हिन्दी संस्थान के निदेशक सुधाकर अदीब के मीराबाई पर आधारित उपन्यास ‘रंगराची’ पर चली परिचर्चा में हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष डा.उदयप्रताप सिंह ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि पुस्तक में मीरा की मनःस्थिति और जीवन के संघर्ष का अद्भुत चित्रण हुआ है। मीरा को समाज सुधारक के तौर पर सामने लाना सराहनीय है। मुख्यअतिथि डा.शम्भूनाथ ने कहा कि अमृतलाल नागर के उपरांत मीरा के व्यक्तित्व पर इतिहास की प्रामणिकता और कविता के कांति के साथ प्रस्तुत यह एक विलक्षण उपन्यास है। मीरा को नये मूल्यों की प्रवर्तक, स्त्री मर्यादा की प्रतिश्टापक बताते हुए इतिहासविद् डा.रहीस सिंह ने कहा कि उपन्यास इतिहास की वस्तुनिष्ठा व औपन्यासिक सरसता के बीच सहसम्बंध स्थापित करता है। साथ ही मीरा को भक्तिकाल की नायिका के रूप में प्रतिष्ठित करता है। कृति के रचनाकार डा.अदीब का कहना था कि इस तथ्यात्मक ऐतिहासिक आख्यान में उनका प्रयास संघर्श यात्रा के साथ ही स्त्री अस्मिता और स्वाभिमान को बखूबी रेखांकित किया गया है। साहित्यकार शी ला पाण्डेय के संचालन में चली परिचर्चा में पद््मकांत शर्मा व अन्य विद्वान उपस्थित थे।
शाम को अनन्त अनुनाद संस्था की ओर से घनानन्द शर्मा मेघ की अध्यक्षता व सुनीलकुमार बाजपेयी के संचालन में चली काव्यगोष्ठी में वेदव्रत वाजपेयी, रामदेव लाल विभोर, अनिल श्रीवास्तव, हरिप्रकाश हरी, डा.रश्मि लाल, शीला पाण्डेय, मृगांककुमार, रवीन्द्रनाथ तिवारी, नरेन्द्र भूषण, अशोक पाण्डेय अशोक, उपेन्द्र बाजपेयी, मनुव्रत बाजपेयी, डा.मंजू शुक्ला ने ‘मेरी वाणी के तरकस में शब्दों के सर दे…, गजल की तर्जुमानी और भी है…., लाकर अंक पचासी दूजा ठोकर खाता है…. व जब से मिला हूं साथी….. जैसी रचनाएं पढ़ीं। कलास्रोत की ओर कला विषयक संगोष्ठी व रेखांकन व कृतियों के प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ। मेले में ओरियण्ट लैग्वेज लैब की ओर से कल 21 दिसम्बर को पंजाबी भाषा की निहालुददीन उस्मानी के मार्गदर्शन में होगी जबकि उर्दू कक्षाएं 22 दिसम्बर से षाम चार से छह बजे तक चार दिन तक चलेंगी। 24 दिसम्बर को आरजे जेपी और आरजे सुष्मित का ‘ट्रिब्यूट टू रफीः म्यूजिकल नाइट’ विशिष्ट होगा।