सुप्रीम कोर्ट ने दिया यूपी को नया लोकायुक्त
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी है। दरअसल, कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार बुधवार तक लोकायुक्त नियुक्त करें, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो पाया।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में रिटा. जस्टिस वीरेंद्र सिंह को लोकायुक्त के रूप में नियुक्त कर दिया और राज्य सरकार को बार-बार दिए गए आदेश नहीं मानने के लिए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि यूपी का सिस्टम नाकाम रहा और राज्य में संवैधानिक एजेंसियां नाकाम रहीं।
कोर्ट ने कहा था कि अगर आप लोकायुक्त की नियुक्ति में नाकाम रहते हैं तो हम आदेश में लिखेंगे कि सीएम, गवर्नर और इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अपनी ड्यूटी करने में असफल रहे।
गौरतलब है कि लोकायुक्त चयन के लिए मंगलवरों को मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की चयन समिति की बैठक पांच घंटे चली लेकिन बैठक बेनतीजा रही। देर रात तक बैठक में एक नाम पर भी सहमति नहीं बन पाई थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी नए लोकायुक्त चुनन के लिए 16 दिसंबर तक का वक्त दे रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नया लोकायुक्त चुनने के लिए पिछले साल छह महीने का वक्त दिया था, लेकिन सरकार ने और वक्त मांगा। इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते का और वक्त दिया। इसके बाद पांच अगस्त को सरकार ने जस्टिस रवींद्र सिंह का नाम लोकायुक्त के लिए तय कर राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया लेकिन राज्यपाल ने इससे पहले चयन समिति की बैठक का ब्यौरा मांग लिया।
असल में इस नाम से सियासी जुड़ाव पर मुख्य न्यायाधीश के एतराज को राज्यपाल ने गंभीरता से लिया। इस बीच सरकार ने चयन समिति की बैठक नहीं बुलाई तो राज्यपाल ने अगस्त में रवींद्र सिंह का नाम खारिज कर दिया और नया नाम भेजने का कहा।
इसी गहमागहमी के बीच सरकार ने चयन समिति की बैठक सितंबर महीने में बुलाई। मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को हुई बैठक में जब सरकार की ओर से लोकायुक्त चयन के पांच नामों का पैनल एक नाम पर सहमति के लिए पेश किया गया तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब सरकार लोकायुक्त चयन के लिए लोकायुक्त संशोधन विधेयक विधानमंडल से पास कर चुकी है तो यह देखा जाना चाहिए कि कहीं चयन समिति की बैठक से सदन की अवमानना तो नहीं हो रही है? इस सवाल पर सरकार विधिक राय ले ली जानी चाहिए। इस पर विधिक राय ले ली गई। और पुराने लोकायुक्त एक्ट से लोकायुक्त चुनने का काम आसान हो गया।