पेट्रोल पंपों पर मिलावट क्यों चेक नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आप दोनों क्यों नहीं साथ बैठकर दिल्ली के वातावरण को साफ करने का समाधान निकालते? ये क्रेडिट आप अपने हाथ में क्यों नहीं लेते? आप ये मौका हाथ से क्यों जाने देना चाहते हैं?
न्यायालय ने सवाल उठाते हुए कहा कि पेट्रोल पंपों में पेट्रोल में केरोसिन मिलाया जाता है, लेकिन कोई चेक करने वाला नहीं। पेट्राेल पंपों के मामले में भी पॉलिसी बननी चाहिए। अगर ईंधन में ही मिलावट होगी तो प्रदूषण तो होगा ही। मिलावटी ईंधन के बावजूद हमारी गाडि़यां हरफनमौला हैं… क्योंकि ये उसी से चलती हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि साल 2000 से दिल्ली में वाहनों की संख्या 97 फीसदी बढ़ी है। दिल्ली में करीब 85 लाख वाहन हो गए हैं, जबकि लॉस एंजिलिस में 65 लाख, न्यूयॉर्क में 77 लाख वाहन हैं। दिल्ली में डीजल की गाड़ियों संख्या 30 फीसदी बढ़ी है।
दरअसल, दिल्ली समेत देश के 13 शहरों में डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। कोर्ट यह तय करेगा कि देश के बड़े शहरों में डीज़ल गाड़ियों पर रोक लगाई जा सकती है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार के एक्शन प्लान पर सुनवाई भी करेगा। दरअसल, दिल्ली सरकार बढ़ते प्रदूषण को को कम करने के लिए वाहनों पर सम-विषम फॉर्मूला लागू करने की तैयारी में है।
यह जनहित याचिका 2013 में दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से चीफ जस्टिस की बेंच के सामने कहा गया कि 2002 में दिल्ली में कमर्शियल वाहनों में डीजल पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगाया था, लेकिन 2015 में डीजल कारों की वजह से हालात बदतर हो गए हैं।