हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए लगायी गयी शर्तें जनतंत्र विरोधी: दारापुरी
केन्द्रीय सरकार इन शर्तों को रद्द कराने के करे कार्रवाही- आइपीएफ
लखनऊ: हरियाणा सरकार द्वारा पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान के लिए शिक्षा तथा शौचालय की लगायी गयी शर्तें जनतंत्र विरोधी हैं. यह बात आज श्री एस.आर. दारापुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस विज्ञप्ति में कही है. उन्होंने कहा है कि शिक्षा की शर्त समानता के अधिकार के खिलाफ है. यह विडंबना है कि एक अनपढ़ व्यक्ति सांसद और विधायक तो बन सकता है परन्तु वह ग्राम प्रधान नहीं बन सकता. इसके इलावा हमारे देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी अशिक्षित है जिस के लिए वह नहीं बल्कि हमारी सरकारें ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में आजादी के दस साल के अंदर 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था नहीं की. संविधान निर्माण के समय भी वोट के अधिकार के लिए शिक्षा की शर्त रखने की बात आई थी परन्तु डॉ. आंबेडकर और जवाहर लाल नेहरु ने इसे अलोकतांत्रिक और विषमतावादी मानते हुए नकार दिया था और सब को बालिग मताधिकार दिया गया था. इस प्रकार हरियाणा सरकार की शर्तें संविधान विरोधी भी हैं.
श्री दारापुरी ने आगे कहा है कि ग्राम प्रधान के चुनाव के लिए शौचालय की शर्त भी हमारी आबादी के बड़े हिस्से को चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित करने की साजिश है क्योंकि हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा तो अभी भी घर विहीन है. ऐसे में जब घर ही नहीं तो शौचालय कहाँ से आएगा.
श्री दारापुरी ने अग्रिम कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा तथा शौचालय सम्बन्धी लगायी गयी शर्तों को स्वीकृति दे दी है. इस से समाज के दलित, अदिवासी और अल्प संख्यक तबके जो शिक्षा में पिछड़े हुए हैं तथा घर विहीन हैं, ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने से वंचित हो जायेंगे. अतः आइपीएफ केन्द्रीय सरकार से अनुरोध करता है कि वह सुप्रीम कोर्ट में पुनर्निरीक्षण याचिका दायर करके ग्राम प्रधान के चुनाव में लगायी गयी शर्तों को समाप्त कराने की कार्रवाही करे अथवा संविधान संशोधन करे.
श्री दारापुरी ने इसे भाजपा की देश के बड़े तबके को ग्राम पंचायत में भागीदारी से वंचित करने की साजिश बताया है क्योंकि उस की सरकारों ने गुजरात, राजस्थान और अब हरियाणा में इसी प्रकार की शर्तें लगायी हैं. आइपीएफ भाजपा के दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को उन के लोकतंत्र में भागीदारी से वंचित करने के प्रयास की निंदा करता है और इस का विरोध करता है. आइपीएफ उन सभी व्यक्तियों और संगठनों का समर्थन करता है जो भाजपा की इस लोकतंत्र विरोधी फासीवादी कार्रवाही के खिलाफ लड़ रहे हैं.