प्रधान न्यायाधीश ने ‘असहिषुणता’ की कलई खोली
वैसे तो असहिषुणता एवं मुसलमानों को खतरे का आरोप लगाकर विश्वभर में भारत को बदनाम करने का अभियान चलाने वालों के मुंह पर बंगलादेश की सुविख्यात साहित्यकार तसलीमा नसरीन ने ही उनके आरोपों की पोल खोलकर करारा तमाचा मारा था, लेकिन अब प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने उस आरोप को आधारहीन एवं राजनीतिक मुद्दा बताकर फरेबभरे अभियान की पूरी तरह हवा निकाल दी है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने देश का बड़ा उपकार किया है। बिहार के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में न आने देने के उद्देश्य से वह अभियान बड़े सुनियोजित ढंग से चलाया गया था। उसे उन लोगों द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने कांग्रेसी राज में खूब सुख भोगा था तथा मोदी-सरकार के आने के बाद उनके वे सुख भरे दिन समाप्त हो गए थे। कांग्रेसी राज के प्रति अपनी निष्ठा के कारण लोकसभा के चुनाव के समय उन लोगों ने नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध बयान के रूप में ‘फतवा’ जारी किया था तथा भाजपा को वोट न देने के लिए कहा था। उस समय मोदी की आंधी में उनका ‘फतवा’ उड़ गया था। लेकिन बिहार के चुनाव के पूर्व उन लोगों ने रणनीति बदली। कांग्रेस एवं अन्य हिन्दू-विरोधियों के संरक्षण में उन्होंने अपने को पुनः संगठित किया तथा अभियान चलाकर बिहार में भाजपा को सत्ता में न आने देने में सफल रहे। झूठ का उक्त अभियान चलाकर वे तत्व बिहार में भाजपा को सत्ता से दूर रखने में तो सफल रहे, किन्तु उन्होंने अपने उस झूठ को प्रचारित कर पूरे विश्व में भारत की बहुत अधिक बदनामी की।
दूसरी ओर यह स्थिति है कि मोदी-सरकार का प्रचारतंत्र पूरी तरह शून्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेतली को अतिरिक्त विभाग के रूप में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सौंप रखा है। वित्त मंत्रालय बहुत अधिक महत्वपूर्ण एवं भारी-भरकम मंत्रालय है, इसलिए अरुण जेतली को सूचना एवं प्रसारण विभाग की ओर ध्यान देने की फुरसत नहीं है। परिणाम यह हुआ है कि देष को मोदी-सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देने वाला कोई नहीं है। मोदी-सरकार ने विगत डेढ़ वर्षों में जो जनकल्याणकारी कार्य किए हैं तथा अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं, उतनी 67 वर्षों में नहीं हुईं। किन्तु उन उपलब्धियों की जनता को जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसी से मोदी-विरोधियों के साथ समस्त हिन्दू-विरोधी तत्व एक हो गए हैं तथा उन्होंने बड़े सुनियोजित एवं संगठित रूप में मोदी-सरकार के विरुद्ध ‘जेहाद’ छेड़ रखा है।
सवाल यह उठता है कि असहिश्णुता का खतरा शाहरुख खान, आमिर खान-जैसों को ही क्यों महसूस हुआ? बड़ी संख्या में शेष सारे मुसलमान पूरे भाईचारे के साथ घुलमिलकर हिन्दुओं के साथ रह रहे हैं। आमिर खान ने यह कहा कि उनकी पत्नी देश में फैली असहिषुणता से डरकर चिंतित है और पूछ रही है कि भारत को छोड़कर कहां रहने जाया जाय? फेसबुक में लोगों ने इस पर रोचक टिप्पणी की। कहा गया कि आमिर खान एवं शाहरुख खान की पत्नियों को असहिषुणता का सबसे बड़ा खतरा तो उनके घर में मौजूद है। उनके पति पता नहीं कब तीन बार तलाक बोलकर नई बीवी ले आएं! आमिर खान तो एक पत्नी का परित्याग पहले ही कर चुके हैं।
हकीकत यह है कि देश में असहिषुणता का सबसे बड़ा शिकार हिन्दू है। बड़ी संख्या में मुसलमानों के ‘ठेकेदार’, चाहे वे राजनीतिक नेता हों अथवा धर्मगुरु, हिन्दुओं के विरुद्ध जहरीले बयान देते रहते हैं। यदि वे मोदी या मोदी-सरकार के विरुद्ध कुछ बोलते हैं तो भी उनका लक्ष्य हिन्दू ही होता है। यदि कोई इक्का-दुक्का हिन्दू उनके बयानों या हरकतों पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त कर देता है तो उस प्रतिक्रिया पर असहिषुणता का आरोप लगाते हुए जमकर हो-हल्ला मचाया जाता है। इसके दो उदाहरण प्रस्तुत हैं। हिन्दू महासभा के अध्यक्ष ने पता नहीं क्या आपत्तिजनक बयान दिया, जिसकी अधिकांष लोगों को जानकारी नहीं है। लेकिन हिन्दू महासभा के अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा कड़ी कार्रवाई हो रही है। पर हिन्दू धर्म या देवी-देवताओं पर जब अभद्र टिप्पणियां की जाती हैं और उन टिप्पणियों का विरोध किया जाता है तो उन विरोध करने वालों को असहिष्णु कहकर तीव्र आलोचना की जाती है। फिदा हुसेन ने हिन्दू देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनाए तथा अयोध्या में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस-सरकार के संरक्षण में ‘सहमत’ प्रदर्शनी लगवाई गई थी, जिसमें भगवान राम, सीता और हनुमान के बीच गलत सम्बंध दिखाए गए थे। जब उनका विरोध किया गया तो हिन्दुओं पर ही असहिषुणता का आरोप लगाकर निंदा की गई। लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र में एक सड़क चौड़ी करने में रास्ते में एक कब्र आ गई तो उस कब्र को हटाने की किसी में हिम्मत नहीं हुई तथा लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर उस पर सड़क-पुल बना दिया गया। किन्तु उसी रास्ते में एक मंदिर था, जिसे बेहिचक तोड़ दिया गया। ये तो मात्र दो उदाहरण हैं। ऐसे अनगिनत उदारहण भरे पड़े हैं