पटेल बनते पहले PM तो ख़त्म हो जाता देश: कांचा इलैया
नई दिल्ली : दलित एक्टिविस्ट और लेखक कांचा इलैया ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लेकर विवादित बयान दिया है। रविवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे इलैया ने कहा कि अगर पंडित जवाहर लाल नेहरू की जगह पहले प्रधानमंत्री सरदार पटेल होते तो वह कभी अंबेडकर से संविधान नहीं लिखवाते। वह हिंदू महासभा के करीब थे शायद तब मनुस्मृति में विश्वास रखने वाले संविधान लिखते। उन्होंने कहा कि पटेल प्रधानमंत्री होते तो भारत के हालात भी पाकिस्तान जैसे होते और यह देश खत्म हो जाता।
इलैया ने कहा कि यदि पटेल पीएम बनते तो भारत भी पाकिस्तान के रास्ते पर ही चलता हमारी डेमोक्रेसी खत्म हो जाती। उन्होंने कहा कि पटेल मोदी ने अपनी कई चुनावी रैलियों में बार-बार पटेल का जिक्र करते हुए कहा था कि कई पटेल भारत के पहले पीएम होते तो आज भारत की तस्वीर अलग होती। लोकसभा चुनाव के दौरान पटेल को ज्यादा तवज्जो दी गई। पटेल नहीं चाहते थे कि अंबेडकर संविधान लिखें। उन्होंने कहा कि गांधी गाय की पूजा के पक्ष में थे और इसे संविधान में शामिल करना चाहते थे, लेकिन खुद बकरी का दूध पीते थे। हैरानी इस बात की है कि उन्होंने बकरी की रक्षा की बात क्यों नहीं की।
2014 लोकसभा चुनाव में जब नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब उन्होंने कांग्रेस पर पटेल की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। वे पटेल के विचारों को बेहद अहम मानते हैं और 500 छोटी-बड़ी रियासतों को शामिल कर भारतीय गणराज्य बनाने के पीछे उनकी अहम भूमिका मानते हैं। गौर हो कि गुजरात में पटेल की प्रतिमा बनाने का भी कार्य चल रहा है, जिसे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया है। पीएम मोदी की ख्वाहिश है कि यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में स्थापित हो।
आंध्र प्रदेश के रहने वाले कांचा इलैया ने हमेशा दलितों के लिए लिखा है, वे भारत के नामी लेखकों में शामिल हैं। वह व्हाय आई एम नॉट ए हिंदू, पोस्ट-हिंदू इंडिया, ए डिस्क्लोजर इन दलित-बहुजन, सोश्यो स्पिरिच्युअल एंड साइंटिफिक रिवॉल्यूशन जैसी किताबें लिख चुके हैं। इलैया ने कुछ दिनों पहले पीएम मोदी की यह कहकर आलोचना की थी कि वह घोषित पीएम हैं लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने दलितों के लिए क्या काम किया है।