यूपी के 50 ज़िले सूखाग्रस्त घोषित
राजस्व देयों की वसूली स्थगित, किसानों के खिलाफ उत्पीड़न की नहीं होगी कोई कार्रवाई
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य के 50 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने सूखाग्रस्त घोषित जनपदों में प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से यह फैसला भी लिया कि 31 मार्च, 2016 तक इनके अवशेष मुख्य राजस्व देयों की वसूली स्थगित रहेगी। इस दौरान कृषि ऋण से सम्बन्धित विविध देयों की वसूली के लिए किसानों के खिलाफ उत्पीड़न सम्बन्धी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
यह जानकारी आज यहां देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जिन 50 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, वे हैं- संत रविदास नगर, सोनभद्र, सुलतानपुर, मिर्जापुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, शाहजहांपुर, बांदा, प्रतापगढ़, चन्दौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोण्डा, कन्नौज, बाराबंकी, संतकबीरनगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फर्रूखाबाद, मऊ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महराजगंज, आगरा, औरैया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, रायबरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशाम्बी, फतेहपुर, अम्बेडकरनगर तथा बलरामपुर।
प्रवक्ता ने कहा कि सूखाग्रस्त घोषित होने वाले जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा सूखे से निपटने के लिए बनाई गई कार्य योजना के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। राजस्व, सिंचाई, पंचायतीराज, ऊर्जा, ग्राम्य विकास, कृषि, खाद्य एवं रसद, समाज कल्याण, संस्थागत वित्त, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, पशुधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, नगर विकास, जल निगम, मत्स्य एवं उद्यान द्वारा सूखाग्रस्त जनपदों में सूखे से उत्पन्न स्थितियों से निपटने हेतु विभागीय स्तर पर हर सम्भव राहत कार्य किए जाएंगे तथा इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को विशेष रूप से क्रियान्वित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में कम वर्षा की स्थिति की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन की अध्यक्षता में सूखे से सम्बन्धित विभागों के साथ 02 सितम्बर, 2015 को बैठक करके सिंचाई, ऊर्जा, लघु सिंचाई एवं कृषि विभाग को विशेष रूप से 15 दिन की अवधि तक निरन्तर अनुश्रवण करते रहने तथा सिंचाई एवं बिजली की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय दैवी आपदा राहत समिति की 29 अक्टूबर, 2015 को बैठक हुई थी। समिति द्वारा विभिन्न विभागों यथा-सिंचाई, पंचायतीराज, ऊर्जा, ग्राम्य विकास, कृषि, खाद्य एवं रसद, समाज कल्याण, संस्थागत वित्त, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, पशुधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, नगर विकास, जल निगम, मत्स्य, उद्यान आदि के विभागीय अधिकारियों से विचार-विमर्श किया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग के वर्षा के आंकड़ों का विस्तृत परीक्षण करने के पश्चात् यह पाया गया कि पूरे प्रदेश में जून से लेकर 30 सितम्बर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण 53.50 प्रतिशत वर्षा हुई है। 33 जनपदों में 40 से 60 प्रतिशत तथा 16 जनपदों में 40 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है। समिति द्वारा भारत सरकार के सूखे के सम्बन्ध में जारी गाइड लाइन में उल्लिखित इस तथ्य पर भी विशेष रूप से विचार किया गया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की सम्पूर्ण अवधि में सामान्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत से कम वर्षा होने पर सूखाग्रस्त घोषित किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
प्रवक्ता ने बताया कि समिति द्वारा समस्त तथ्यों पर विचार के बाद 60 प्रतिशत से कम वर्षा वाले ;भ्पहीसल कमपिबपमदज तथा ेबंदजलद्ध 49 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए। सूखे के कारण किसानों को राहत प्रदान किए जाने के लिए मुख्य राजस्व देयों की वसूली स्थगित किए जाने एवं कृषि ऋण से सम्बन्धित विविध देयों की वसूली हेतु कृषकों के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न किए जाने के आदेश दिए गए।
प्रवक्ता ने कहा कि समिति द्वारा दिए गए आदेशों के अनुपालन में सूखे के कारण किसानों को राहत प्रदान किए जाने के लिए 31 मार्च, 2016 तक मुख्य एवं विविध देयों की वसूली स्थगित किए जाने एवं उनके विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न किए जाने तथा 49 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने तथा इसके अतिरिक्त जनपद बलरामपुर में 61.1 प्रतिशत वर्षा होने एवं जिलाधिकारी द्वारा फसलों की क्षति 33 प्रतिशत से अधिक होने के आधार पर जनपद बलरामपुर को सम्मिलित करते हुए 50 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने का निर्णय लिया गया है।