असहिष्णुता पर बहस छेड़ने व्वालों ने पैसे लिए: वी के सिंह
लॉस एंजिलिस: केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने आरोप लगाया है कि भारत में असहिष्णुता पर बहस उन लोगों ने छेड़ी जिन्हें इस काम के लिए पैसे दिए गए और यह बहस कुछ ज्यादा ही कल्पनाशील लोगों के दिमाग की ‘गैर जरूरी’ उपज है जो बिहार चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित थी ।
विदेश राज्य मंत्री सिंह ने यहां क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘ (असहिष्णुता पर) यह विशेष बहस चर्चा का विषय ही नहीं है। यह उन बेहद कल्पनाशील दिमागों की अनावश्यक उपज है जिन्हें बहुत सा धन दिया जा रहा है।’ इस दो दिवसीय समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जगह भाग ले रहे सिंह ने आरोप लगाया कि भारत में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस राजनीति से प्रेरित है और बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व जानबूझकर इसे पैदा किया गया। सुषमा स्वराज को पेरिस में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर दुबई से बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
सिंह ने भारत में असहिष्णुता के संबंध में किए गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘ मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि भारतीय मीडिया किस प्रकार काम करता है । मैं आपको उन सारी हास्यास्पद चीजों के बारे में बताउंगा जो असहिष्णुता के बारे में कही जा रही हैं । जब दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए तो अचानक से बड़े बड़े लेखों की बाढ़ सी आ गयी और हायतौबा मचने लगी कि गिरिजाघरों पर हमले किए जा रहे हैं , ईसाइयत पर हमले किए जा रहे हैं.. आदि आदि । ’
सिंह ने कहा, ‘ गिरिजाघर में चोरी के एक छोटे से मामले को गिरिजाघर पर हमले के तौर पर पेश किया गया। क्यों? क्योंकि कोई था, जो वोट हासिल करने की कोशिश कर रहा था और मीडिया इसमें सहयोग कर रहा था। मुझे नहीं पता कि उसे इसके लिए पैसा दिया जा रहा था या नहीं। यह ऐसा निर्णय या राय है जिसके बारे में आपको स्वयं सोचना है।’ उन्होंने कहा, ‘ मैं आपको केवल तथ्य बता रहा हूं। चुनाव समाप्त होने के बाद सारा हो-हल्ला समाप्त हो गया।’
सिंह ने कहा, ‘ ऐसा ही असहिष्णुता पर बहस के मामले में है। बिहार चुनाव समाप्त होते ही सब बंद हो गया। इसलिए हमें वे अनावश्यक बातें नहीं करनी चाहिए जो गलत हैं। मैं चाहता हूं कि जो लोग असहिष्णुता की बात करते हैं, आप अपने कागजों पर यह बात लिखें कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 70 से अधिक आयु के गांधीवादी अन्ना हजारे को आधी रात को उठाकर तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया था, उस समय किसकी सरकार थी?’ उन्होंने कहा, ‘ क्या इन लोगों को कुछ बोलने का नैतिक अधिकार भी है? इसलिए जो हो रहा है, हमें उसे लेकर अनावश्यक रूप से भ्रमित नहीं होना चाहिए और यह भारतीय मीडिया के लिए एक सबक है।’ सिंह ने इससे पहले प्रवासी भारतीय दिवस में अपने संबोधन में कहा कि समग्रता नरेंद्र मोदी सरकार की विशिष्टता बन गई है।