साम्प्रदायिक होना आसान है, सेकुलर होना मुश्किल: अखिलेश
महिलाओं की उपेक्षा कर कोई समाज तरक्की नहीं कर सकता: मुख्यमंत्री
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि समाज की आधी आबादी (महिलाएं) की उपेक्षा करके न तो कोई समाज तरक्की कर सकता है और न ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का विकास कर सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाली महिलाओं के कार्याें की सामाजिक मान्यता देकर और उन्हें सम्मानित करने से अन्य महिलाओं को समाज की बेहतरी के लिए आगे आने की प्रेरणा मिलेगी।
मुख्यमंत्री आज यहां होटल ताज में आयोजित ‘देवी अवार्ड्स’ वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में महिलाओं की बेहतरी के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिलाओं में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रसार के लिए कार्य किया जा रहा है लेकिन इस दिशा में सतत् एवं सघन प्रयास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस परिवार एवं समाज में महिलाओं का सम्मान होता है वही परिवार एवं समाज प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। राज्य सरकार अपने स्तर से महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है। उन्होंने महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाली संस्थाओं का आवाहन किया कि वे राज्य सरकार के साथ मिलकर और अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त कर सकती हैं।
श्री यादव ने राज्य सरकार द्वारा संचालित समाजवादी पेंशन आदि योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना से प्रदेश की 45 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया है। धनराशि सीधे महिला मुखिया के खाते में प्रेषित की जा रही है। योजना के फलस्वरूप महिलाओं का परिवार में महत्व बढ़ा है। पेंशन प्राप्त करने वाली महिलाएं राज्य सरकार द्वारा दी जा रही धनराशि को अपने निजी उपयोग में लाने के बजाए अपने बच्चों की शिक्षा एवं परिवार की उन्नति के लिए खर्च कर रही हैं। इसी प्रकार महिलाओं में उच्च शिक्षा के प्रति लगाव पैदा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष कन्या विद्या धन योजना संचालित की जा रही है। प्रदेश सरकार ने मोबाइल आदि के माध्यम से महिलाओं को परेशान करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने के लिए ‘1090’ वीमेन पावर लाइन योजना संचालित की है। इस सुविधा के माध्यम से अब तक लगभग 4 लाख से अधिक महिलाओं एवं छात्राओं को राहत पहुंचाई गई है। इसी प्रकार निःशुल्क लैपटाॅप वितरण योजना एवं मेधावी छात्रों के लिए निःशुल्क लैपटाॅप वितरण योजना का सर्वाधिक लाभ छात्राओं को मिला है।
विभिन्न प्रश्नों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को पूरा सम्मान प्रदान करती है। उनकी सुरक्षा, शिक्षा तथा आर्थिक तरक्की के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। उन्होंने कहा कि देवी अवार्ड प्राप्त करने वाली महिलाओं के पात्रता को दृष्टिगत रखते हुए रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से भी सम्मानित करने पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही, महिलाओं को उनकी प्रतिभा को देखते हुए पार्टी एवं सरकार स्तर पर भी प्रोत्साहन के लिए हर सम्भव कदम उठाए जाएंगे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि साम्प्रदायिक होना आसान है, जबकि सेकुलर होना कठिन एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है। उत्तर प्रदेश की जनता ने त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में साम्प्रदायिक नीतियों को खारिज करते हुए सेकुलर सिद्धान्त पर मुहर लगाने का काम किया है। बिहार के चुनाव ने भी यह सिद्ध किया है कि इस देश का समाज भाई-चारा में विश्वास रखने वाला एक पुराना समाज है। इसे किसी भी प्रकार से बरगलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया एक बाजार में तब्दील हो रही है। निवेश के लिए समाज में शान्तिपूर्ण माहौल होना जरूरी है तभी देश विकास कर सकता है।
इस मौके पर सांसद डिम्पल यादव ने कहा कि वास्तव में महिलाएं ही देश एवं समाज का मार्गदर्शन कर सकती हैं। महिला त्याग की प्रतिमूर्ति होती है। वह शुरु से ही अपने परिवार एवं समाज के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तत्पर रहती है। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान राज्य सरकार महिलाओं में कुपोषण की समस्या को समाप्त करने जैसे तमाम समस्याओं पर गम्भीरता से काम कर रही है।
इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रभु चावला ने कहा कि प्रतिष्ठान इससे पूर्व दिल्ली, हैदराबाद एवं बंगलौर में ‘देवी अवार्ड’ से महिलाओं को सम्मानित कर चुका है। उन्होंने उत्तर प्रदेश को सम्भावनाओं का प्रदेश बताते हुए कहा कि यहां बहुत कुछ अच्छा हो रहा है, जिसे देश एवं दुनिया को बताने की जरूरत है। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान की प्रबन्ध निदेशक सुश्री सम्भाधर कामथ ने किया।
आज जिन महिलाओं को देवी अवार्ड से सम्मानित किया गया उनमें सुश्री अरुणिमा सिन्हा, दिव्या मेहरोत्रा, इरा त्रिवेदी, कविता सेठ, किरण दीक्षित ठक्कर, किन्जल सिंह, सेहबा हुसैन, रूणा बनर्जी, रेणु सिंह, सचि सिंह, शिखा द्विवेदी तथा जरीना भट्टी शामिल हैं।