बेंगलुरू: टीपू सुल्‍तान की जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले को लेकर जारी विरोध थमने को नाम नहीं ले रहा है। राज्‍य की कांग्रेस सरकार को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि उसका यह निर्णय इस कदर विवाद का केंद्रबिंदु बन जाएगा। इस मसले को लेकर राज्‍य में विरोध प्रदर्शन जारी है। टीपू विरोधियों के निशाने पर अब ज्ञानपीठ अवार्डी नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड हैं।

टीपू के समर्थन में बयान देने के लिए कथित तौर पर कर्नाड और भाजपा के एक सांसद को जान से मारने की धमकियां  मिली हैं। दरअसल, कर्नाड को टीपू सुल्‍तान का पक्ष लेने और बेंगलुरू एयरपोर्ट का नामकरण टीपू पर करने के बयान को लेकर निशाना बनाया जा रहा है। एक ट्वीट में कहा गया है, ‘ज्ञानपीठ अवार्डी का हाल भी एमएम कलबुर्गी की तरह होगा।’  लेखक कलबुर्गी की इसी साल महाराष्‍ट्र में उनके घर पर गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी।

हालांकि, बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया, लेकिन ऐहतियात के तौर कर्नाड के घर के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भाजपा नेता प्रताप सिम्‍हा को भी फेसबुक पर जान से मारने की धमकी मिली है। प्रताप ने कथित तौर पर कहा था कि  सिद्धारमैया सरकार टीपू की जयंती को मनाकर राज्‍य में नफरत फैला रही है।

दरअसल, कर्नाड की ओर से की गई टीपू सुल्‍तान की प्रशंसा विरोधियों को रास नहीं आ रही। बेंगलुरू एयरपोर्ट का नामकरण केमपेगौड़ा के बजाय टीपू पर करने का सुझाव भी दक्षिणपंथियों को पसंद नहीं आ रहा है। वैसे विवाद बढ़ता देखकर कर्नाड ने ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश की है। उन्‍होंने कहा कि , ‘यदि मेरी टिप्‍पणी से कोई आहत हुआ हो तो मैं माफी मांगता हूं।’ केमपेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के तहत जागीरदार थे, जिन्होंने 1537 में बेंगलुरू की स्थापना की थी।

विहिप के राज्‍य सचिव बासवराज, कर्नाड के बयान को लेकर सर्वाधिक मुखर हैं। वे टाउन हाल में इस मसले पर हुए विरोध प्रदर्शन का हिस्‍सा रहे हैं। उन्‍होंने कहा, ‘केम्‍पेगौड़ा इस शहर के संस्‍थापक थे। हम गिरीश कर्नाड के बयान की आलोचना करते हैं। वे लेखकर नहीं है, केवल मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के आदमी हैं।’