परीक्षाओं की शुचिता सरकार की नीतियों के कारण तार-तार हो रही है: बीजेपी
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में होने वाली परीक्षाओं की शुचिता सरकार की नीतियों के कारण तार-तार हो रही है। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने चकबंदी लेखपाल भर्ती परीक्षा में हुई गड़बडि़यों तथा परीक्षा के दौरान हुये कुप्रबंधन के कारण हुई अराजकता को अखिलेश सरकार की लचर प्रशासनिक व्यवस्था का परिणाम बताया।
सोमवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा के दौरान प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अभी हुई चकबंदी लेखपाल भर्ती परीक्षा के दौरान लखनऊ, इलाहाबाद, अमेठी, बांदा, औरैया, कौशाम्बी, चंदौली, बस्ती सहित कई स्थानों पर पर्चा लीक के आरोप प्रकाश में आये है। राजधानी लखनऊ के काजेज में तो पहली पाली में ही पेपर लीक के कारण हंगामे की स्थिति बन गई।
उन्होंने कहा कि राज्य में लगातार परीक्षाओं की सुचिता को लेकर सवाल खड़े होते है, चाहे बोर्ड की परीक्षायें हो अथवा नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षायें ज्यादातर परीक्षाये सवालों के घेरे में है। पर्चा लीक से लेकर पेपर सालवर गिरोह की कारस्तानियां सामने आ चुकी है। पीसीएएस परीक्षा तक के पेपर लीक हुए परीक्षा रद्द करनी पड़ी, लेखपाल भर्ती परीक्षा भी कई स्थानों पर रद्द हुई। रद्द होती परीक्षाओं के कारण जहां बेरोजगार नौजवान परेशान हो रहा है वहीं उसके परिजन भी हलकान हो रहे है। जहां एक ओर राज्य में भर्ती परीक्षाये परेशानी का सबब बनी है वहीं दूसरी ओर सरकार प्लेसमेंट एजेन्सी की तरह परीक्षा के लिए तिथि घोषित करती है, फार्म मंगाती है, आवेदन शुक्ल के नाम पर धन वसूली होती है। परीक्षाऐ होती है, पेपर लीक हो जाता है, फिर दोबारा परीक्षा होती परिणाम घोषित होते है बाद में न्यायालय के चैखट पर सवाल खड़े हो जाते है।
श्री पाठक ने कहा हर बार होने वाली परीक्षाओं में उठते सवालों से जहां एक ओर बेरोजगार नौजवान निराश हो रहा है वहीं बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर सत्ता में आई अखिलेश सरकार के प्रति आक्रोश से भरा हुआ हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन को पता होता है कि किसी शहर में भारी संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा के लिए एकत्र हो रहे है तो उस संदर्भ में व्यवस्थाये क्यों नहीं करता क्योंकि परीक्षार्थी आते है तो अलग-अलग समय पर किन्तु जाते समय सबका समय एक ही होता है, फिर उन परिस्थितियों का अनुमान लगाकर व्यवस्थाये तदनुरूप क्यों नहीं की जाती ?