मनमाफिक पिच न मिलने से हताशा तो होती है: गावस्कर
नई दिल्ली: वानखेड़े के क्यूरेटर सुधीर नाइक के साथ भारतीय टीम के निदेशक रवि शास्त्री की कथित बहस के विवाद के बीच पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि जब घरेलू टीम को मनमाफिक पिच नहीं मिलती तो हताशा होती है, लेकिन भाषा पर नियंत्रण होना चाहिए।
भारत ने रविवार को पांचवां एकदिवसीय मैच 214 रन से गंवाने के साथ सीरीज भी 2-3 से गंवा दी, लेकिन जल्द ही सबका ध्यान शास्त्री और नाइक के बीच कथित बहस की ओर चला गया। दक्षिण अफ्रीका के पहले बल्लेबाजी करते हुए चार विकेट पर 438 रन का विशाल स्कोर खड़ा करने के बाद शास्त्री ने कथित तौर पर विकेट की प्रकृति पर टिप्पणी करते हुए नाइक को अपशब्द कहे। गावस्कर ने हालांकि किसी का भी पक्ष लेने से इनकार कर दिया।
गावस्कर ने कहा, घरेलू टीम की अनुकूल पिच में क्या गलत है। और जब आपको आपकी पसं द की पिच नहीं मिलती तो हताशा होती है और व्यंग्यात्मक टिप्पणी की जाती है। लेकिन अपनी भाषा पर नियंत्रण होना चाहिए। जब निराशा होती है तो ऐसे शब्द कहे जाते हैं जिन पर बाद में खेद होता है। रवि ने अपशब्दों के इस्तेमाल से इनकार किया है, लेकिन सुधीर ने कहा कि उसने ऐसा किया। इसलिए यह एक व्यक्ति बनाम दूसरा व्यक्ति है।
गावस्कर ने कहा, यह भी पता करना चाहिए कि मुंबई क्रिकेट संघ ने क्यूरेटर से क्या कहा। टीम प्रबंधन राज्य बोर्ड से कह सकता है कि उसे कैसी पिच चाहिए और इसके बाद यह क्यूरेटर को बताया जाता है, यह इस तरह काम करता है। और यह पहली बार नहीं है जब टीम को उसकी पसंद की पिच नहीं मिली है। यह जीवन का हिस्सा है, आप मैच हार गए, आगे बढ़ जाइए। उन्होंने हालांकि कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हार का पिच से कोई लेना-देना है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि बड़ी हार में पिच की कोई भूमिका थी। मुझे लगता है कि यह साधारण गेंदबाजी (भारत की) और दक्षिण अफ्रीका की बेजोड़ बल्लेबाजी से हुआ। इस पूर्व सलामी बल्लेबाजी ने मौजूदा रणजी सत्र में सौराष्ट्र की घरेलू पिचों की भी आलोचना की जिसमें दो दिन में ही नतीजा आ रहा है और बायें हाथ के स्पिनर रविंद्र जडेजा अपनी फिरकी से विरोधी टीम के सभी बल्लेबाजों को परेशान कर रहे हैं।