कराची: पाकिस्तान के परमार्थ संगठन ईधी फाउंडेशन ने एक दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान में रही भारतीय मूक-बघिर लड़की गीता की देखभाल करने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उसके लिए घोषित एक करोड़ रुपये का दान ठुकरा दिया है। 

ईधी फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख प्रसिद्ध परोपकारी अब्दुल सत्तार ईधी ने प्रधानमंत्री मोदी का दान संबंधी घोषणा के लिए आभार जताया, लेकिन इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ‘डॉन’ की खबर के अनुसार ईधी फाउंडेशन के प्रवक्ता अनवर काजमी ने कहा, अब्दुल सत्तार ईधी ने मोदी का आभार जताया और उनके द्वारा घोषित वित्तीय मदद को स्वीकारने से विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को गीता से मिले थे। उन्होंने इतने सालों तक गीता का इतने प्यार एवं स्नेह से ख्याल रखने के लिए कराची स्थित ईधी परिवार की सराहना की थी। प्रधानमंत्री ने गीता का ख्याल रखने के लिए सत्तार ईधी की पत्नी बिलकीस बानो की तारीफ करते हुए सराहना के प्रतीक के तौर पर फाउंडेशन को एक करोड़ रुपये का दान देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह दान केवल गीता की देखभाल करने के लिए नहीं, बल्कि फाउंडेशन जो अद्भुत काम कर रहा है, उसके लिए है।

प्रधानमंत्री ने कहा था, ईधी परिवार ने जो किया वह अमूल्य है, लेकिन मुझे उनके फाउंडेशन के लिए एक करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा करने में खुशी महसूस हो रही है। 15 साल पहले पाकिस्तानी रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में गीता को बैठा पाया था। तब उसकी उम्र कथित रूप से सात या आठ साल थी। ईधी फाउंडेशन की बिलकीस बानो ने उसे गोद ले लिया और गीता उनके साथ कराची में रहने लगी।

बिलकीस और उनके पोता-पोती साद एवं सबा ईधी गीता को भारत लेकर आए। गीता सोमवार को नई दिल्ली लौट आई, लेकिन उसने उस परिवार को पहचानने से इनकार दिया, जिसे उसने पूर्व में तस्वीरों में अपने परिवार के तौर पर पहचाना था।

उसने बिहार के रहने वाले महतो दंपति को पहचानने से इनकार कर दिया, जिन्हें उसने तस्वीरों से पहचाना था। गीता को तब तक इंदौर में एक संस्थान में रखा जाएगा, जब तक कि उसके ‘असली परिवार’ का पता नहीं चल जाता।