भारत में मुसलमानों को रहना है तो बीफ छोड़ना है: खट्टर
बाद में बयान से पलटे, जताया खेद
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली से सटे दादरी के बिसाहड़ा गांव में बीफ खाने और रखने की अफवाह पर भीड़ द्वारा मुहम्मद अखलाक को पीटकर मारे जाने की वारदात को ‘गलत’ और ‘गलतफहमी का नतीजा’ बताते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा, ‘मुस्लिम इस देश में रह सकते हैं, लेकिन उन्हें बीफ खाना छोड़ना होगा, क्योंकि गाय यहां विश्वास और आस्था से जुड़ी है।’
हालांकि इस बयान पर विवाद उठने के बाद सीएम खट्टर ने कहा कि अखबार ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया। सीएम खट्टर ने साथ ही कहा, अगर मेरे किसी भी शब्द से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं खेद जताने को तैयार हूं। हम एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हुए साथ रहते हैं, सदियों से यही हमारी परंपरा रही है। हमें एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।’ (पढ़ें- सीएम खट्टर की सफाई)
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हरियाणा में सीएम के तौर पर अपना एक साल पूरा करने जा रहे खट्टर ने अखबार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि भारत की बहुसंख्यक आबादी के लिए गाय, गीता और सरस्वती आस्था से जुड़ी हुई हैं और मुस्लिम बीफ खाना छोड़कर अपने धार्मिक विश्वास को नहीं तोड़ेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा यह पूछे जाने पर कि दादरी की घटना वारदात को वह किस तरह से देखते हैं और क्या ऐसी घटनाएं देश का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं कर देंगी, इसके जवाब में खट्टर ने कहा, ‘मुस्लिम रहें, मगर इस देश में बीफ खाना छोड़ना ही होगा उनको। यहां की मान्यता है गौ।’
हरियाणा की राजनीति में बाहरी और पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के वक्त तक 61 साल के खट्टर को ज्यादातर लोग जानते भी नहीं थे, लेकिन संघ के संगठन स्तर पर काफी ऊंचा कद रखने वाले खट्टर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ लगभग 4 दशक पुराना रिश्ता है। अखबार के मुताबिक, हरियाणा में गौ हत्या पर प्रतिबंध के लिए विधानसभा द्वारा अपनाए गोवंश संरक्षण और गौसंवर्धन संबंधी कानून को सीएम खट्टर अपने एक साल के इस कार्यकाल की उपलब्धि मानते हैं। गोहत्या से जुड़े इस कानून का उल्लंघन करने के दोषी को 10 साल जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं बीफ खाने के दोषी को पांच साल जेल की सजा का प्रावधान है।
इस अंग्रेजी दैनिक को दिए इंटरव्यू में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दादरी की घटना को ‘गलतफहमी का नतीजा’ बताते हुए कहा कि ‘दोनों पक्षों’ ने गलती की। उन्होंने कहा, ‘इस घटना को नहीं होना चाहिए था। दोनों की तरफ से नहीं होना चाहिए था।’ उन्होंने दावा किया कि पीड़ित मुहम्मद अखलाक ने ‘गाय से जुड़ी एक हल्की टिप्पणी की, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और इसके नतीजे के तौर पर उन्होंने अखलाक पर हमला कर दिया।’ खट्टर ने कहा, ‘लेकिन मैं कहता हूं कि किसी पर हमला करना और किसी इंसान को मारना गलत है।’ उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि जिन्हें भी इस घटना में दोषी पाया जाए, उन्हें कानून की संबंधित धाराओं के तहत सजा दी जानी चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सीएम खट्टर ने इस घटना की तुलना ऐसी स्थिति से की, जिसमें किसी व्यक्ति की मां को मार दिया जाए या फिर बहन का उत्पीड़न किया जाए तो उसे अपराधी पर गुस्सा आएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कानून के तहत कुछ गलत कर भी रहा है, जिसके लिए उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन ‘हमें वारदात के पीछे जाना होगा और उसकी मान्यता की जांच करनी होगी। हमें समझना होगा कि उसने जो किया वह क्यों किया।
अखबार द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या लोगों को उनकी पसंद का खाना खाने से रोका जाना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं है, खट्टर कहते हैं, ‘सांस्कृतिक-पारंपरिक तौर पर हम जनतांत्रिक हैं। जनतंत्र में आजादी होती है, लेकिन उन आजादियों की कुछ सीमाएं भी होती हैं। एक इंसान की आजादी तभी तक है जब तक कि वह किसी और की आजादी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।’
सीएम खट्टर ने कहा, ‘बीफ खाने से दूसरे समुदाय की भावनाएं आहत होती हैं, संवैधानिक तौर पर भी आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। संविधान कहता है कि आप कुछ ऐसा नहीं कर सकते जो कि मुझे आहत करे, मैं कुछ ऐसा नहीं कर सकता जो कि आपको आहत करे।’ उन्होंने कहा, ‘वे बीफ खाना छोड़ दें तब भी मुसलमान ही बने रहेंगे या नहीं? कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि मुसलमानों को बीफ खाना ही चाहिए। ईसाई धर्म में भी कहीं नहीं लिखा कि उन्हें बीफ खाना ही चाहिए।’