किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार उदासीन: रालोद
लखनऊ। किसान वर्ष में किसानों की उपेक्षा कर रही प्रदेश सरकार तथा किसानों की सुविधाओं और समस्याओं के प्रति उदासीन है यह आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि औसत से भी 20 से 25 प्रतिशत कम बरसात होने के कारण फसलों में 40 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है जबकि सरकार 15 से 20 फीसदी के नुकसान का आंकलन कर रही है। कम उत्पादन के कारण 413.9 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तो अधूरा रहेगा ही साथ ही कम वर्षा होने के कारण जमीन में नमी की भी कमी है फलस्वरूप आलू की बुआई भी पिछड़ेगी और आलू के बीज को सड़ने की सम्भावना भी अधिक रहेगी तथा नमी की कमी के कारण चना, मटर, सरसों, मसूर के बुआई पर भी असर पडे़गा। उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2014 को शासनादेश जारी करके प्रत्येक माह की तृतीय बुधवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में किसानो की समस्याओं की सुनवाई के लिए किसान दिवस मनाये जाने का निर्देश जारी हुआ था जो कागजी कार्यवाही तक सीमित रहा।
चौहान ने कहा कि सरकारी आंकड़े के अनुसार गत वर्ष असमय बरसात व ओला पड़ने के कारण 84.09 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुयी है। आपदा राहत नीति के तहत जारी शासनादेश के अनुसार 18000 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 15120 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति किसानों में वितरित की जानी चाहिए थी परन्तु अब तक सरकार ने लगभग 2440 करोड़ की धनराशि ही किसानों में वितरित की है इससे साबित होता है कि सरकार अपने ही आकड़ो के अनुसार अब तक 1/6 किसानों को ही क्षतिपूर्ति दे पायी है शेष किसानो के साथ अन्याय हुआ है।
चौहान ने कहा कि एक तरफ सदन मेें प्रदेश सरकार ने किसान वर्ष घोषित कर रखा है दूसरी तरफ गत वर्षो की तुलना में इस वर्ष किसानों को मिलने वाले अनुदान व अन्य सुविधाओं में कटौती की है। निजी नलकूपों में विद्युत आपूर्ति हेतु 24 लाख अनुदान के सापेक्ष 8 लाख ही स्वीकृत किया गया है और 16 लाख स्वीकृत हेतु अवशेष है। कृषि सूचना तंत्र के सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता के अन्र्तगत 2009 में प्रचार प्रसार के लिए जो 24 बसे खरीदी गयी थी कृषि विभाग के अधिकारियों ने 2015 में मुख्यमंत्री जी से हरी झण्डी दिखाकर रवाना करा दिया जो गायब हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा किसान वर्ष को किसानों के साथ मजाक बताते हुये कहा कि 2014 में खरीफ की फसल में संकर धान, संकर बाजरा एवं संकर मक्का का 1 लाख कुन्तल बीजों वितरण किया गया था और इस किसान वर्ष में मात्र 10 हजार कुन्तल का ही वितरण सरकार करा पायी है। इसी तरह प्रदेश के किसानों को 2014 में 40 करोड़ रूपये कृषि रक्षा रसायन हेतु वितरित किया गया था और वर्तमान किसान वर्ष में एक भी पैसा वितरित नहीं किया गया और 40 करोड़ का बजट सरकार ने घपला कर दिया या दूसरे मद में खर्च कर दिया। वर्ष 2012-13 व 14 में आइसोपाम योजना में लगभग 60 हजार कुन्तल प्रतिवर्ष संकर मक्का का वितरण किया जाता था यह योजना 2015 के किसान वर्ष में बंद कर दी गयी इसी तरह 2012-13 व 14 में माइक्रोन्यूटेन्ट्स का वितरण किया गया था जो किसान वर्ष में नदारत है। प्रदेश के कृषकों को 2013 में हरी खाद हेतु 1 लाख कुन्तल ढैंचा का बीज वितरित किया गया था जो योजना किसान वर्ष मे बंद कर दी गयी थी। कृषि विभाग से 31 मार्च 2015 तक 5 हजार सोलर पम्पों का वितरण करना था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया।