दादरी घटना की असली गुनहगार सपा सरकार: आमिर रशादी
लखनऊ: राष्ट्रीय उलमा काउंसिल ने उत्तर प्रदेश के दादरी स्थित बिसाहड़ा की हाल की घटना को लेकर राज्य की सपा सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए गुरुवार को कहा कि अपनी सरकार होने के बावजूद सपा अगर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हाथों इतनी ही मजबूर है तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।
काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि यह सही है कि देश में साम्प्रदायिक ताकतें घिनौना खेल खेल रही हैं लेकिन प्रदेश में होने वाली फिरकावाराना वारदात की असल दोषी सपा सरकार ही है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश में होने वाली साम्प्रदायिक घटनाओं को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर डाल दिया जाता है। मेरा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से सवाल है कि उनकी सरकार में भाजपा और संघ अगर इतने मजबूत हैं तो सरकार को इस्तीफा देकर इन ताकतों के हाथ में ही सत्ता सौंप देनी चाहिये। दरअसल, सपा और भाजपा दोनों ही मिलकर फिरकापरस्ती का खेल खेल रही हैं।’’
रशादी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जब-जब सपा की सरकार बनती है तो भाजपा के साथ मिलकर मुसलमानों में भय का माहौल पैदा किया जाता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में गोमांस का ज्यादातर कारोबार गैर-मुस्लिम लोग ही कर रहे हैं, जबकि दोष मुसलमानों को दिया जा रहा है। हिन्दू युवा वाहिनी समेत तमाम समाज के ठेकेदार इस कारोबार को क्यों नहीं रोकते। सचाई यह है कि गाय जब तक दूध देती है, तब तक तो वह माता होती है लेकिन उसके बाद या तो उसे बेच दिया जाता है, या फिर आवारा छोड़ दिया जाता है।
गोवध करने वालों को जान से मारने की कथित हिन्दूवादी नेताओं के बयानों पर रशादी ने कहा कि केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री रिजिजू और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कुबूल किया है कि वे गोमांस खाते हैं। धमकियां देने वाले लोग पहले उन्हें मारकर दिखाएं। गत लोकसभा चुनाव में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आजमगढ़ से चुनाव लड़ चुके रशादी ने दादरी की घटना को बिहार विधानसभा चुनाव में मतों के धुव्रीकरण की साजिश बताया। उन्होंने बिहार में महागठबंधन से सपा के अलग होने पर भी सवाल उठाए।
प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खान द्वारा देश में साम्प्रदायिकता फैलाये जाने की शिकायत संयुक्त राष्ट्र से किए जाने को जनता को गुमराह करने की कोशिश करार देते हुए उन्होंने कहा कि खान को अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं है, इसलिए उन्हें इंसाफ के लिए संयुक्त राष्ट्र के दरवाजे खटखटाने पड़े।