मनमोहन-मुशर्रफ कार्यकाल में लगभग सुलझ गया था कश्मीर मुद्दा: पूर्व पाक मंत्री
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने स्वीकार किया है कि मनमोहन सिंह-परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में पिछले दरवाजे से कश्मीर का मुद्दा लगभग सुलझा लिया गया था। कसूरी ने यह भी कहा है कि पिछले दरवाजे से बातचीत पिछले तीन साल से चल रही थी। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को भी इस विकास के बारे में बता दिया गया था।…भारत और पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मामले में एक बिन्दु पर सहमत थे। कसूरी ने यह बात एक चैनल के साथ बातचीत में कही।
उनकी एक पुस्तक “नाइदर हॉक नॉर डोव” बुधवार को भारत में रिलीज होने वाली जा रही है। इस पुस्तक में भारत-पाक डिप्लोमेसी के उन सालों के गोपनीय और दिलचस्प पहलुओं पर रोशनी डाली गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान के साथ “बैकचैनल टॉक” का प्रबंध करने के लिए ऎसे व्यक्ति को नियुक्त करना चाहिए जिस पर उन्हें भरोसा हो।
कसूरी ने साथ ही कहाकि 26/11 मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर जवाबी हमले की तैयारी कर ली थी। उन्होंने दावा किया कि, अमरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जॉन मैक्केन की अध्यक्षता में एक डेलीगेशन ने 26/11 हमले के बाद उनसे कहा था कि भारत जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा के ठिकानों पर हवाई हमले कर सकता है। भारत में इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है और जमात उद दावा के मुडरिके स्थित ठिकाने पर हमला कर सकता है। इसके जवाब में मैंने कहाकि ऎसा होता है तो पाकिस्तान इसका नपातुला जवाब देगा। साथ ही उनसे पेंटागन से बात करने को भी कहा।
कसूरी ने बताया कि उस समय मैं विदेश मंत्री नहीं था। यूएस डेलीगेशन ने मुझसे कहाकि हम आपसे इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि आप आम आदमी है और सेना को जानते हैं। भारत के हमले से पाकिस्तान की जनता में क्या संदेश जाएगा? मैंने कहाकि हमला होने पर पाकिस्तानी सेना पांच मिनट में जवाब देगी। आप मुझे भरोसा दीजिए की भारत हमला नहीं करेगा। इस पर उन्होंने कहाकि, यदि वे हमला कर देते हैं तो पाकिस्तान की प्रतिक्रिया क्या होगी? मैंने कहाकि सब फंस जाएंगे। यदि पाकिस्तान ने जवाब नहीं दिया तो पाक सेना अपने ही लोगों की आंखों में गिर जाएगी।