50 रूपये में कई बड़े लेखकों की पुस्तकें
नेशनल बुक फेयर में बढ़ रही है पुस्तक प्रेमियों की दिलचस्पी
लखनऊ: राजधानी के मोती महल लॉन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले ने यह बात तो साफ़ कर दी है कि इस शहर के लोगों में पढ़ने की दिलचस्पी अभी बाकी है. पुस्तक मेला न तो घूमने की जगह है और न ही टाइम पास की. फिर अगर वहां भीड़ उमड़ रही है तो ज़ाहिर है कि लोग किताबों के आकर्षण में बंधकर ही वहां आ रहे हैं.
पुस्तक मेले में हर वर्ग की पसंद और मतलब की किताबें मौजूद हैं. पुस्तक मेले का एक फायदा यह है कि एक ही छत के नीचे तमाम विषयों की किताबें मौजूद हैं. इसके साथ ही प्रकाशकों ने यहाँ किताबों पर तरह-तरह के ऑफर भी रखे हैं.
साहित्य भण्डार के स्टाल पर बड़े लेखकों की किताबें मौजूद हैं. रवीन्द्र कालिया, ममता कालिया, गज़ाल ज़ैगम, डॉ. अमिता दुबे, वीरेन्द्र यादव, दीपक शर्मा, सुधाकर अदीब, कैलाश बनवासी, अमिताभ खरे, डॉ. राष्ट्रबंधु, दूधनाथ सिंह, पूरण चन्द्र त्रिपाठी, महेश कटारे, ह्रदयेश, चित्रा मुद्गल, शेखर जोशी, रजनी गुप्ता, नसीम साकेती, विश्वनाथ प्रसाद, विष्णु नागर, उमेश चौहान और नासिरा शर्मा सरीखे लेखकों की किताबें यहाँ मौजूद हैं. वह भी सिर्फ 50 रूपये में.
पुस्तक मेले का सांस्कृतिक पंडाल आज भी दिन भर गुलज़ार रहा. आज यहाँ आज यहाँ राष्ट्रीय पुस्तक मेला आयोजन समिति की और से साहित्यकार शिरोमणि सम्मान-2015 वरिष्ठ साहित्यकार नरेश सक्सेना को उदय प्रताप सिंह (कार्यकारी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), गोपाल चतुर्वेदी (वरिष्ठ व्यंग्यकार), अनूप श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार) के सानिध्य में शाल, स्मृति चिन्ह, मान पात्र एवं 11 हज़ार की धनराशि प्रदान करते हुए किया गया. अभ्यागतों का स्वागत मेला आयोजक उमेश ढल एवं श्री देवराज अरोड़ा द्वारा किया गया. नरेश सक्सेना का परिचय एवं संचालन डॉ. अमिता दुबे द्वारा किया गया.
पुस्तक मेले में विनय वाजपेयी द्वारा काव्य पाठ एवं सुश्री आशा रावत द्वारा लोकगीतों की प्रस्तुति भी की गई. आज यहाँ सम्यक प्रकाशन की और से दलित साहित्य पर चर्चा हुई.
पुस्तक मेले के संयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि प्रकाशकों का चयन इस विचारधारा के साथ किया गया है कि यहाँ आने वाले है व्यक्ति को अपने मतलब की कोई न कोई पुस्तक ज़रूर मिल जाए. साहित्य की जो पुस्तकें बाज़ार में ढूंढनी पड़ती हैं वह यहाँ आसानी से उपलब्ध हैं.