मायावती को अपने कार्यकाल के फैसलों की जानकारी नहीं
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर सीबीआई ने शुक्रवार को पूछताछ की। एजेंसी ने इससे पहले, उनके खिलाफ ‘नए सबूत’ मिलने का दावा किया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस घोटाले में व्यापक षड्यंत्र का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई ने सोमवार को मायावती से पूछताछ की। एनआरएचएम घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने अब तक 74 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और 48 आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
सीबीआई अधिकारियों की पूछताछ के दौरान मायावती ने महत्वपूर्ण सवालों से कथित तौर पर बचने की कोशिश की और मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ फैसलों के बारे में अनभिज्ञता तक जाहिर की।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभाजन और जिला परियोजना अधिकारियों के 100 पद सृजित करने को लेकर मायावती के खिलाफ नए सबूत मिलने का दावा किया था जिसके बाद उनसे पूछताछ की गई। उन्होंने बताया कि एनआरएचएम योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के पीछे जिला परियोजना अधिकारियों की कथित भूमिका बताई जाती है।
जब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विभाजन हुआ था तब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। प्रतिक्रिया के लिए वह या उनकी पार्टी का कोई सदस्य तत्काल उपलब्ध नहीं हुआ। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र पर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए सीबीआई का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि मामले में उनकी संलिप्तता है ही नहीं।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विभाजन इसलिए किया गया ताकि एनआरएचएम के कोषों को परिवार कल्याण विभाग के प्रभार के अंतर्गत सीधे तौर पर रखा जा सके। यह विभाग तब मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के पास था, जिनके खिलाफ एजेंसी आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।
एजेंसी का दावा है कि परिवार कल्याण विभाग में उन लोगों को ही जिला परियोजना अधिकारियों के पद पर पदस्थ किया गया जिन्होंने चुनिंदा आपूर्तिकर्ताओं को कथित तौर पर ठेके दिए और इसके बदले में आरोपी लोक सेवकों को कथित भ्रष्टाचार की भारी रकम मिली।
की में सीबीआई ने आरोप लगाया है ‘‘कथित आपराधिक षड्यंत्र में स्वास्थ्य विभाग के विभाजन का प्रस्ताव दिया गया और केंद्र सरकार द्वारा एनआरएचएम के लिए तय मानकों के खिलाफ जा कर मंजूरी ली गई।’’ सूत्रों ने बताया कि उन्होंने पाया है कि राज्य में जिला परियोजना अधिकारियों के 100 पदों का सृजन अनियमित तरीके से किया गया।