राज्य कर्मचारियों की मांगो पर शासन नहीं गम्भीर
राज्य कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में मौन जुलूस निकालकर किया विरोध प्रर्दशन
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की समेकित मांगो के सम्बन्ध में विगत 2 वर्षो से शासन के शीर्षस्थ अधिकारियों के ध्यानाकर्षण कार्यक्रम, फिर 11 दिन की महाहड़ताल कर आक्रोष प्रदर्शित करके ध्यानाकर्षण कराया गया, उच्च न्यायालय भी पहुंचा मुख्य न्यायाधीश द्वारा बीच का रास्ता निकालकर हड़ताल वापस कराई गई और सरकार को निर्देशित किया गया कि आप चार मांग,े जो कि उचित लगती हा,े उन्हें पूर्ण कराने की सहमति दे ताकि कर्मचारियों एवं सरकार के प्रति सौहार्द पूर्ण वातावरण कायम हो सके। शासन ने लिखित रूप से आज से एक वर्ष नौ माह पूर्व चार मांगे मानने का आश्वासन न्यायालय को दिया तथा शेष मांगों पर बैठक करके निस्तारण का तरीका निकालने का भी आश्वासन दिया था। जिनमें सभी कर्मचारियों को कैशलेश सुविधा के तहत इलाज की सुविधा, संग्रह अमीनो को नायब तहसीलदार पद प्रोन्नति, लिपिक संवर्ग की समस्याये तथा पंचायत सफाई कर्मचारियों को प्रधानों से मुक्ति पर सहमति तत्काल बनी थी तथा शेष मांगे जैसे केन्द्र के समान भत्ते (एक ही जिले में मकान किराये में दुगने से अधिक अन्तर है), फिल्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता ( अभी काफी कर्मचारियों को सौ रुपये प्रति माह साइकिल भत्ता मिलता है जबकि सभी कर्मचारी विभागीय कार्यो में मोटर साइकिल का प्रयोग करते है), पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना, 25-30 वर्षो से सेवारत कर्मचारियों की एडहाॅक सेवा जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जाना, तयशुदा 7-14-20 वर्ष पर तीन पदोन्नति वतेनमान दिया जाना, कार्याे मे व्यस्त रहने के कारण आवकाश न लेने पर सेवानिवृति पर अधिकतम 600 दिन का अवकाश नकदीकरण सहति प्रदेश के तमाम सगठंनों की विभागीय संस्तुतियों पर आदेश जारी नहीं हो रहे है। मुख्य सचिव द्वारा समय समय पर बड़े और कडे आदेश दिये गये कि समस्त प्रमुख सचिव/विभागाध्यक्ष प्रत्येक 3 माह में एक बैठक करायेगे तथा पहली बैठक हर हाल में 15 अगस्त तक करके समस्या का सामाधान कराये तथा जो उच्च स्तर से सम्बन्धित हो उन्हें उच्च स्तर पर भेजे तथा जो अधिकारी बैठक नहीं करायेगे उनके विरूद्ध कार्यवाही का प्राविधान किया जाये, परन्तु बहुत कम अधिकारियों ने इस आदेश का पालन किया, बाकी अधिकारी बात सुनना नहीं चाहते है। अन्यथा छोटी-छोटी समस्याये अवश्य हल हो जाती।
इन्हीं कारणों से जनजागरण हेतु विगत 23 जुलाई को प्रदेश के हजारो कर्मचारियों द्वारा लखनऊ में महारैली की गई यद्यपि प्रदेश के सभी जिला प्रशासनों ने रैली को रोकने का भरपूर प्रयास किया।
उसी दिन मुख्य सचिव द्वारा मुख्यमंत्री से वार्ता कराकर समस्या का समाधान करने हेतु तय किया गया, परन्तु आज 3 माह बाद भी स्थिति नहीं बदली। इस कारण राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद पूर्व से तयशुदा सघर्ष कार्यक्रम के तहत गांधी जयन्ती 2 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में ‘‘मौन धरना प्रर्दशन‘‘ करके ‘‘वादा निभावो‘‘ के रूप में विरोध दर्ज कर रहा है। यदि फिर भी कर्मचारियों की मांगों को शासन गम्भीरता से नहीं लेता है तो राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 23 नवम्बर को पेंशन मुद्दे पर रेलवे सहित सेन्ट्रल कर्मचारी यूनीयन के आन्दोलन में प्रदेश बन्द का आहवान, 14-15 दिसम्बर 15 को दो दिवसीय पेन डाउन सांकेतिक अघोषित हड़ताल तथा 23 फरवरी 16 से अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू कर दि जायगी।
उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता बी0एस0 डोलिया तथा सुभाष श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह, महामंत्री अतुल मिश्रा, शिवबरन सिंह यादव, सुरेश रावत, (लैब टेक्निशियन) के0के0 सचान (फार्मेसिस्ट एसो0), तथा विभिन्न संगठनों के एस0के0 पाण्डेय (डि0 इंजी0 महांसघ), इं0 दिवाकर राय, इं0 बी0के0 कुशवाह, अशोक कुमार (नार्सिंग संघ), संजीव गुप्ता, राजेश पाण्डेय, अविनाश श्रीवास्तव, अमिता त्रिपाठी, अशोक दुबे, सुभाष तिवारी, राजेश साहू, विचित्र कुमार साहू, विनय श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र (समाज कल्याण), ए0के मिश्रा, जय प्रकाश, जी0वी0 पटेल (पावर काॅपरेशन), एस0पी0 मिश्रा, बी0के0 वाजपेई (जल निगम) सहित विभिन्न संगठनो के प्रान्तीय पदाधिकारी एवं सदस्य भारी संख्यां में शामिल हुऐ।