प्रदेश के सिन्धु दर्शन यात्रियों को सरकार देगी 10,000 रुपये का अनुदान: सहगल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के ऐसे मूल निवासी जो लेह लद्दाख स्थित सिन्धु दर्शन की तीर्थ यात्रा पूरी कर वापस आ जाते हैं, उन्हें 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से अनुदान धनराशि देगी। यह जानकारी धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, नवनीत सहगल, ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि इस अनुदान के लिये आवेदन को सक्षम स्तर से जारी निवास प्रमाण-पत्र की प्रमाणित छाया प्रति प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
श्री सहगल ने बताया कि अनुदान वर्तमान लागू प्रक्रिया के अनुसार यात्रा में सम्मिलित होने वाले तथा यात्रा पूर्ण करने वाले यात्रियों को ही देय होगी। अनुदान की धनराशि यात्रा के पूर्ण होने के उपरान्त प्रतिपूर्ति योग्य होगी। जीवन काल में किसी यात्री को एक ही बार अनुदान दिया जायेगा। अनुदान की सुविधा मामले में बजट प्राविधानित धनराशि तक ही यात्रियों को देय होगी तथा सीमित रहेगी। यात्रा में सम्मिलित यात्रियों को यात्रा समाप्त होने के पश्चात तीन मास के अन्दर उ0प्र0 के मूल निवासी प्रामण पत्र के आधार पर अनुदान स्वीकृत किया जायेगा।
प्रमुख सचिव ने बताया कि यात्रियों को दी जाने वाली सहायता राशि की सम्पूर्ण धनराशि महानिदेशक, पर्यटन के निर्वतन पर रखी जायेगी। धर्मार्थ कार्य विभाग द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों की संवीक्षा कर पात्र यात्रियों की सूची महानिदेशक पर्यटन को उपलब्ध करायी जायेगी, तत्पश्चात पात्र आवेदकों के नाम का पृथक-पृथक चेक महानिदेशक पर्यटन द्वारा धर्मार्थ कार्य विभाग को उपलब्ध कराया जायेगा। उल्लेखनीय है कि चेकों का वितरण धर्मार्थ कार्य विभाग द्वारा किया जायेगा। किसी यात्री की मृत्यु होने की दशा में यथास्थिति पत्नी/पति या आश्रित के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर अनुदान की प्रतिपूर्ति हेतु विचारोपरान्त निर्णय लिया जायेगा।
आर्थिक सहायता हेतु आवेदन के निर्धारित प्रारूप में यात्री का नाम, पिता/पति का नाम, व्यवसाय, निवास स्थान का पूर्ण पता, दूरभाष संख्या यदि हो तो, सिन्धु दर्शन की यात्रा पूर्ण करने का प्रमाण पत्र, यात्रा पर व्यय का विवरण, लेह लद्दाख की प्रथम यात्रा है या नहीं, पहचान पत्र, स्थान, दिनांक का उल्लेख किया जाना आवश्यक है।
निर्धारित प्रारूप पर आवेदन तीन माह के अन्दर सचिव/प्रमुख सचिव, धर्मार्थ कार्य, कक्ष संख्या-105, बापू भवन, लखनऊ-226001 के पते पर केवल डाक द्वारा भेजा जा सकता है। आवेदन के साथ लगाये जाने वाले अभिलेखों की छाया प्रतियां किसी राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित होनी चाहिये, अन्यथा आवेदन निरस्त किया जा सकता है।