गुणों के धनी व्यक्ति थे प्रो. कापसे : राम नाईक
लखनऊः “राजनीति में अपने नजदीक का सहयोगी अभिन्न मित्र बने ऐसा कदाचित ही होता है। भाजपा के नेता प्रो. राम कापसे के रुप में पिछले चार दशकों से यह सौभाग्य मुझे प्राप्त था। पहले विधानसभा में और उसके बाद लोकसभा कामकाज के संदर्भ में विरोधी और पत्रकार दोनों ही हमारा उल्लेख संयुक्त रुप से दो रामों की जोडी कहकर करते थे। मेरा इतना अद्वैत मित्र आज अनंत में विलीन हो गया है”, इन शब्दों में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपनी शोक संवेदनाओं को व्यक्त किया।
राज्यपाल ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा “1978 में हम दोनों ही पहली बार विधायक बनें। तब से जुडे हुए मन के तार आज नि:शब्द हो गये हैं। पहले विधानसभा में तदुपरान्त लोकसभा में हमने सदैव ही एक दूसरे के लिए पूरक और पोषक के रुप में काम किया। यही कारण है कि मुंबई उपनगरी रेल्वे के संदर्भ में हम दोनों को मिलकर काफी काम करते बना। अंदमान के उप राज्यपाल के रुप में सुनामी के बाद अंदमान का जनजीवन पटरी पर लाने के लिए रामभाऊ ने किया हुआ काम चिरस्मरणीय और अचंभित करने वाला है। प्रभावी वक्ता और रामभाऊ जैसा निश्छल वृत्ति का राजनेता अब फिर महाराष्ट्र में नहीं होगा। पिछले कुछ वर्षों से बीमारी के कारण उनकी सामाजिक गतिविधियॉं नहीं थी। परंतु उनका केवल होना ही मेरे जैसे के लिए एक बडा संबल था। भारतीय जनता पार्टी के लिए उनके द्वारा किए गए त्याग की कोई तुलना नहीं है। राज्यपाल बनने के बाद कल्याण जाकर मैंने उनसे भेंट की थी। हमारी वह मुलाकात अंतिम सिद्ध हुई। कापसे परिवार के इस दु:ख में मैं सहभागी हूं।”