अधिकारी प्रशासन की रीढ़ की हड्डी के समान हैं: नाईक
भारतीय प्रशासनिक सेवा, प्रान्तीय सिविल सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राज्यपाल से भेंट की
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से आज राजभवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा 2014 बैच के 16 परिवीक्षाधीन अधिकारियों, जिनमें 4 महिलाएं और 12 पुरूष सम्मिलित हैं तथा प्रान्तीय सिविल सेवा 2011 बैच के चयनित 27 परिवीक्षाधीन अधिकारी जिनमें 6 महिलाएं और 21 पुरूष अधिकारी शामिल है, ने भेंट की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी के महानिदेशक नेतराम, राज्यपाल की प्रमुख सचिव, जूथिका पाटणकर, अकादमी की अपर निदेशक अमृता सोनी, अपर निदेशक रामदीन एवं अपर निदेशक राकेश वर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने परिवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के संविधान के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें। प्रशासनिक अधिकारी कार्यपालिका के प्रमुख घटक के रूप में कार्य करेंगे। अधिकारी प्रशासन की रीढ़ की हड्डी के समान हैं। उनका पद एक प्रतिष्ठित पद है, जिसका दायित्व प्रदेश एवं देश के विकास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अधिकारी का पद आम जनता के हित एवं विकास से जुड़ा है। योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अधिकारियों पर निर्भर करती है। कोशिश होनी चाहिये कि जनहित की सभी परियोजनाएं समय और व्यय के अनुरूप गुणवत्ता सहित पूरी हों। आम आदमी तक अपनी पहुंच बनाये। अपना व्यक्तित्व ऐसा बनाये कि सबको लगे कि आप उनकी बात सुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी सबकी बात सुनने के बाद निष्पक्षता से अपनी अन्तरात्मा की आवाज के अनुरूप जिम्मेदारी का निर्वहन करें।
श्री नाईक ने कहा कि अधिकारी समय पर काम करने की आदत डाले तथा आने वाले कल की तैयारी आज करें। विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के साथ-साथ लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ कहा जाने वाला पत्रकारिता से जुड़े लोगों से भी अधिकारियों का सम्मानपूर्ण रिश्ता होना चाहिये। जनहित की खबरें उपलब्ध कराना भी अधिकारियों की कुशलता पर निर्भर करता है। समयबद्ध कार्य-पद्धति को बढ़ावा दें तथा जरूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाये। समय सीमा के भीतर कार्य करने तथा अच्छे व्यवहार से अधीनस्थ कर्मचारियों पर भी अच्छा प्रभाव होता है। उन्होंने कहा कि समाज में भ्रष्टाचार रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।
श्री नाईक ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी जनता के हित के लिये अभिनव प्रयोग करें तथा आत्मावलोकन करें कि जनता के लिये उनके द्वारा किये गये कार्य से वे स्वयं कितने सन्तुष्ट हैं। उन्होंने अपने गुरू द्वारा दिये गये मंत्र भी बताये कि अपनी जिम्मेदारी को सदैव प्रसन्नचित होकर निपटाये, दूसरों के अच्छे कार्य की प्रशंसा करके उसका मनोबल बढ़ाये, किसी की अवमानना या निन्दा न करके उसको हतोत्साहित न करें तथा हर कार्य को और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें।
इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने जीवन से जुड़े अंशों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने महालेखाकार कार्यालय में अपर डिविजन क्लर्क से नौकरी की शुरूआत की फिर वहां से त्यागपत्र देकर कम्पनी में मुख्य लेखाकार का दायित्व निभाया फिर कुछ दिनों बाद नौकरी छोड़कर मुम्बई बोरीवली से तीन बार विधायक रहे, फिर उत्तर मुम्बई लोकसभा से लगातार पांच बार सांसद हुए तथा 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में नियोजन, गृह तथा रेल राज्यमंत्री रहे। पूर्व प्रधानमंत्री, श्री बाजपेई की दोबारा सरकार बनने पर पांच साल तक पेट्रोलियम मंत्री रहे। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव तथा राजभवन के इतिहास के बारे में भी परिवीक्षाधीन अधिकारियों के साथ विचार साझा किये।