ईद उल अज़हा की नमाज ईदगाह में अदा करना सुन्नत है:मौलाना खालिद रशीद
लखनऊ: दारूल उलूम फरंगी महल के अंतर्गत एक जलसा ‘‘ईद उल अज़हा की अहमियत व फजीलत’’ पर आयोजित हुआ। जलसे की अध्यक्षता इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली ने की। जलसे का संचालन कारी मुहम्मद हारून ने किया।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अपने सम्भोधन में कहा कि यह महीना हजरत इब्राहीम और हजरत इस्माईल अलै0 की इस महान कुर्बानी को याद करने का महीना है जो उन्होंने खुदा पाक के हुजूर में पेश की। इन घटनाओं से हमें और आपको खुदा पाक के वादे पर भरोसा और इसी तरह खुदा पाक के आदेश पर अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए हर समय तैय्यार रहना चाहिए।
मौलाना ने कर्बानी के ऊपर विस्तार से रौशनी डालते हुए कहा कि यह कुर्बानी नमाज अदा करने के बाद ही करनी है और नमाज सबसे अहमद इबादत है। नबी पाक सल्ल0 ने ईद और बकरईद की नमाज इ्र्रदगाह ही में पढ़ी हैं। इस लिए बकरईद की नमाज भी ईद की नमाज की तरह ईदगाह में पढ़ना सुन्नत है। जिस पर अमल करना सवाब का काम है। उन्होंने कहा कि ईदगाह एैशबाग़ लखनऊ में इस वर्ष भीषण गर्मी की वजह से नमाज के समय में बदलाव किया गया है अब नमाज ईद उल अजहा सुबह 09 बजे अदा की जायेगी।
मौलाना मुहम्म्द मुश्ताक ने कहा कि आज हम लोग जिन समस्याओं से घिरे हुए हैं हम सब को भी हजरत इब्राहीम जैसा यकीन खुदा पाक पर होना चाहिए। खुदा पाक की ही मदद से हम लोग इन समस्याओं को हल कर सकते है।
जलसे को सम्बोधित करते हुए दारूल उलूम निजामिया फरगी महल के प्रधानाचार्य मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी ने कहा कि इस्लाम हमें इस बात की शिक्षा देता है कि हमारे हाथ से किसी को नुकसान या तकलीफ न पहुंचे। इस लिए कुर्बानी करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी एैसी जगह पर कुर्बानी न करें जिससे दूसरे धर्म के लोगोें को ठेस पहुुंचे और जानवर की गन्दगी सड़क या गली में न फेंकें।
जलसे का आरम्भ मुहम्मद शाहिद की तिलावत से हुआ और नात पाक अबूजर ने पेश की। जलसे का अन्त मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली की दुआ पर हुआ।