अच्छे उपदेश भी दूसरों पर थोपे नहीं जा सकते
मुंबई में मीट बिक्री मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इंकार
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जैन समुदाय के पर्व पर्यूषण के दौरान मुंबई में मांस की बिक्री पर रोक लगाने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने जैन समुदाय के ट्रस्ट श्रीतपगछिया आत्म कमल लभदिसुरीश्वरजी ज्ञानमंदिर ट्रस्ट को अपनी शिकायत के निदान के लिये बंबई उच्च न्यायालय जाने की छूट दे दी।
पीठ ने कहा, ‘हम स्पष्ट करते हैं कि हमने इस मामले की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। याचिकाकर्ता चाहे तो उच्च न्यायालय जा सकता है जो छह महीने के भीतर उनकी याचिका पर फैसला करेगा। याचिका खारिज की जाती है क्योंकि इसे वापस ले लिया गया।’ इसकी सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के प्रति अनिच्छा व्यक्त की और कहा कि आधा दिन बीत चुका है और उच्च न्यायालय का फैसला काफी विस्तृत लगता है। न्यायालय ने कहा कि सहिष्णुता की भावना होनी चाहिए और कोई भी चीज किसी एक वर्ग विशेष पर थोपी नहीं जानी चाहिए।
इनमे से एक न्यायाधीश ने कबीर का दोहा सुनाते हुये कहा कि अच्छे उपदेश भी दूसरों पर थोपे नहीं जा सकते और लोग वही फसल काटेंगे जो उन्होंने बोई है। न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पशुओं के प्रति अहिंसा और दया अच्छी शिक्षा का हिस्सा रहा है और दो दिन मांस की बिक्री पर प्रतिबंध से किसी को कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है।
बंबई उच्च न्यायालय ने 14 सितंबर को जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के दौरान मुंबई में आज के दिन मांस की बिक्री पर लगाये गये प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि यह रोक मुंबई सीमा क्षेत्र तक सीमित रहेगी और उसने बूचड़खाने में पशुवध पर प्रतिबंध लगाने और बूचड़खानों को बंद रखने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था।