नई दिल्ली। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने डंकन फ्लेचर के कोचिंग कार्यकाल की आलोचना करते हुए कहा कि जिम्बाब्वे के इस कोच के कार्यकाल के दौरान अनुशासन का अभाव था और खिलाड़ी अभ्यास सत्र के लिए देर से पहुंचते थे। गावस्कर ने कहाकि मुझे लगता है कि अब अधिक सकारात्मकता है। अभ्यास सत्र में अधिक जज्बा देखने को मिलता है और काम के प्रति नैतिक जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहाकि डंकन फ्लेचर के मार्गदर्शन में काम के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का अभाव था। खिलाड़ी मैदान पर काफी देर से आते थे। जब वे मैदान पर आते थे तो अंदर आकर वार्मअप और अभ्यास करने में उन्हें 15 से 20 मिनट लग जाता था। गावस्कर ने टीम निदेशक के रूप में रवि शास्त्री के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा अब रवि शास्त्री और तीन कोचों के मार्गदर्शन में इसमें सुधार आया है। इसे और बेहतर किया जा सकता है, क्योंकि हमेशा सुधार की गुंजाइश रहती है। विशेषकर जब टीम वार्म अप करके आती है तो हंसी मजाक में काफी समय बर्बाद किया जाता है।

फ्लेचर अप्रैल 2011 में भारत के कोच बने थे और इस साल मार्च में विश्व कप के साथ उनका कार्यकाल खत्म हुआ। वर्ल्ड कप में भारतीय टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। हालांकि इससे पहले विदेशी दौरों पर टीम इंडिया के प्रदर्शन के चलते फ्लेचर की आलोचना हुई थी।