जिला अस्पताल डेन्टिस्ट के सामन्तवादी व्यवहार से मरीज त्रस्त
अम्बेडकरनगर। महात्मा ज्योतिबा फुले संयुक्त जिला चिकित्सालय की दन्त इकाई में मरीजों की समस्याएँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस इकाई में आने वाले मरीजों की डाक्टरों से झड़प होना, डाक्टरों द्वारा इनका अपमान किया जाना व इलाज के लिए कई-कई दिनों का चक्कर लगवाना, इसके बाद भी समुचित उपचार न हो पाना आम बात हो गई है। बताया जाता है कि जिला अस्पताल की दन्त इकाई में एक डेन्टल सर्जन थे जो बड़ी ही गम्भीरता से मरीजों की समस्याएँ सुनते व उनका इलाज करते थे, अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके सेवानिवृत्ति उपरान्त कई महिला व पुरूष डेन्टिस्ट आए, लेकिन वे सभी एक पुराने व घाघ किस्म के चिकित्सक के आगे नतमस्तक हैं। कई मरीजों ने बताया कि डॉ. राजेश सिंह नाम का दन्त चिकित्सक जो काफी पुराना व घाघ किस्म का है वह मरीजों को देखने में आनाकानी करता है।
बताया गया कि जिला अस्पताल की दन्त इकाई में उक्त डेन्टिस्ट की मठाधीशी के चलते अन्य दन्त चिकित्सकों की नहीं चल पाती है। वे लोग उतना ही कर पाते हैं, जितना कि दबंग डेन्टिस्ट चाहते हैं। दबंग व हैकड़ किस्म के दन्त चिकित्सक के बारे में बताया जाता है कि वे जिस मरीज को देखते और उनका इलाज करते (दांत उखाडना, फिलअप करना, दांत की सफाई आदि) है, उसे बाहर से ही दवा लेने के लिए बाध्य करते हैं। दांत उखाड़ने या दांत की किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त मरीज को देखने के बाद 1 हजार से 2 हजार तक के कीमत की दवा लिख देते हैं साथ ही उनका सख्त निर्देश होता है कि दवा उनके बताए हुए मेडिकल स्टोर से ही खरीदी जाए। उक्त दन्त चिकित्सक के इस दबाव से परिलक्षित होता है कि उनका अच्छा-खासा कमीशन उनके द्वारा बताये गये मेडिकल स्टोर से बंधा होगा इसीलिए वह मरीजों को सिर्फ अपने सेट मेडिकल स्टोर से ही दवा लेने के लिए बाध्य करते हैं।
कई मरीजों ने बताया कि उक्त मठाधीश दन्त चिकित्सक की लिखी दवाएँ इतनी महंगी होती हैं कि आम गरीब लोग उसे खरीद ही नहीं पाते हैं, जबकि उसी फार्मूले की दवा जिला चिकित्सालय में उपलब्ध रहती है, लेकिन कमीशन के चक्कर में बाहर की महंगी दवा लिखकर मरीजों का आर्थिक शोषण किया जाता है। यही नहीं पुराने दबंग दन्त चिकित्सक के बारे में कई यह भी पता चला है कि अस्पताल की ओ.पी.डी. बन्द होने के बाद भी वे कुछ मरीजों को प्राइवेट तौर पर प्रतिदिन देखते और उनका दांत दन्त इकाई की ओ.टी. में निकालते हैं। उन्हें प्राइवेट तौर पर बुलाकर दांत उखाड़ते और महंगी दवा लिखकर अपने सेट मेडिकल स्टोर से खरीदवाते हैं। इस तरह सरकारी वेतन के साथ ही उनकी अच्छी खासी कमाई प्राइवेट मरीजों के इलाज व मेडिकल स्टोर से बंधे कमीशन से हो जाती है। इनके द्वारा ओ.पी.डी. के मरीजों का दांत उखाड़ने के लिए उन्हें सिर्फ बुधवार को ही बुलाया जाता है, उनका यह कथन होता हैं कि शेष दिन ओ.टी. नहीं चलती है।
आरोपानुसार उक्त डेन्टिस्ट महिला मरीजों व सीधे-सादे तीमारदारों को देखकर उन्हें दुत्कार कर भगा देते हैं। जिला अस्पताल की ओ.पी.डी. के दन्त मरीजों पर वे बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं, उनका ध्यान सिर्फ प्राइवेट मरीजों को देखकर उनसे अच्छी खासी कमाई करने में ही रहता है। मठाधीश दबंग व हैकड़ किस्म के दन्त चिकित्सक के रवैय्ये से दन्त इकाई के अन्य चिकित्सक व स्टाफ भी नतमस्तक हैं। आम मरीजों की पहुँच उच्च चिकित्साधिकारियों तक तो होती नहीं, जो अपनी समस्या उनसे कह सकें। इसलिए मजबूर होकर अपना इलाज कराने के लिए इनकी झिड़कियाँ सुनने और अभद्रता बरदाश्त करने को विवश रहते हैं। खैराती अस्पताल में दन्त रोगी अपना रूतबा रूआब ताक पर रखकर इन डेन्टिस्टों के पास जाकर इनकी अभद्रता झेलते हैं, और बहैसियत एक भिखमंगा वहाँ इनसे इलाज करवाने को मजबूर हैं। क्या जिला अस्पताल अम्बेडकरनगर की दन्त इकाई के निरंकुश डेन्टिस्ट के क्रिया-कलापों पर नियंत्रण लग पायेगा, या फिर सब कुछ ऐसा ही चलता रहेगा? कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सामन्तवादी दन्त चिकित्सक के स्थानान्तरण की मांग करते हुए कहा कि यदि इन्हे जिला अस्पताल से अविलम्ब न हटाया गया तो वे लोग आन्दोलन करने को विवश होंगे।
रिपोर्ट- सत्यम सिंह