शिक्षा मित्रों के लिए मौत का फरमान बना हाई कोर्ट का फैसला
प्रदेश में अब तक कई लोगों ने गँवाई अपनी जानें
लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की बहाली को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला मौत का फरमान साबित हो रहा है, प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या आत्महत्या के मामलों में अब तक आधा दर्जन के लगभग शिक्षामित्र अपनी जान गंवा चुके हैं।
कन्नौज प्राइमरी स्कूल के शिक्षामित्र बाबू सिंह ने फांसी लगा ली, वहीं गाजीपुर में एक शिक्षक ने सल्फास खाकर सुसाइड कर लिया। लखीमपुर खीरी, एटा और मिर्जापुर से एक-एक शिक्षामित्रों की खुदकुशी की खबर सामने आई है। वहीं बस्ती के भानपुर में एक शिक्षामित्र की कोर्ट का फैसला आने के बाद सदमे से मौत हो गई।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों की बहाली को हाई कोर्ट ने शनिवार को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इनके बहाली का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था।
शिक्षामित्रों के बहाली को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में नियुक्त करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की कई दिन तक दलीलें सुनीं।
हाई कोर्ट ने कहा, ‘चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इन्हें बहाल नहीं किया जा सकता।’ शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें नियुक्त करने का फैसला लिया है। इसलिए इनकी बहाली में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों की बहाली प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए की गई है।