बंधुआ मजदूरी मानवता के लिए सबसे बड़ा कलंक: डी0 मुरूगेसन
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन पर कार्यशाला आयोजित
लखनऊ: प्रदेश के श्रम विभाग व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आज यहां बंधुआ मजदूरी उन्मूलन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति डा0 मुरूगेसन ने बंधुआ मजदूरों के हितार्थ संचालित योजनाओं का लाभ उन तक पहंुचाने पर जोर दिया। उन्होंने बंधुआ मजदूरों के पुनर्वासन के लिए राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उनके हितार्थ संचालित नीति पर तत्काल कार्य करने को कहा है।
डी0 मुरूगेसन ने कहा कि सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को बंधुआ मजदूरों के संबंध में रिपोर्ट प्रत्येक छः महीने में आयोग को भेजना है। इसके साथ जिला स्तर पर इनकी स्थिति के परीक्षण के लिए सतर्कता समिति का गठन किया जाय। उन्होंने कहा कि बधुआ मजदूरी से मुक्ति के बाद इनके पुनर्वासन की उचित व्यवस्था करना सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुक्त बंधुआ मजदूर को 50 हजार रुपये का पुनर्वास पैकेज तत्काल मिलना चाहिए जिसके साथ जिलाधिकारी को मजदूरों के कौशल विकास एवं क्राफ्ट कुशलता पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूर विकास की मुख्यधारा से जुड़े, इसके लिये बी0पी0एल0 राशन कार्ड, आधार कार्ड, नरेगा जाॅबकार्ड, जनधन खाता के साथ-साथ स्वास्थ्य बीमा व अन्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए।
कार्यशाला में प्रमुख सचिव श्रम, अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि बंधुआ मजदूरों को चिन्हित कर अतिशीघ्र उनकी पुनर्वासन करना बहुत जरूरी है। बंधुआ श्रमिक तथा उनका परिवार कम से कम मजदूरी पर कार्य करता है तथा मूलभूत मानवीय सुविधाओं से वंचित रहता है। इनको भी आवश्यकता इस बात की है कि न्यूनतम मजदूरी एक्ट के तहत मजदूरी दिलायी जाय। उन्होंने कहा कि लोगों के व्यवहार में बुनियादी परिवर्तन की जरूरत है, तथा अपनी सांेच भी बदलनी होगी ताकि मानव ही मानव का उत्पीड़न न करें। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरों को उनके श्रम का उचित मूल्य दिलाना जरूरी है तथा स्वैच्छा से काम करने का अधिकार दिलाये जाने का प्रयास श्रम विभाग द्वारा किया जा रहा है।
कार्यशाला में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य तथा विभागीय उच्चाधिकारियों ने भी अपने-अपनेे विचार व्यक्त किये।