स्मार्ट सिटी नहीं स्मार्ट गांव बनाने की ज़रुरत है: आज़म खां
मुसलमान और स्लाटर हाउस को लेकर यूपी में होती है राजनीति
इंस्टेंट खबर ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नगर विकास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो आजम खां ने कहा कि जरूरत स्मार्ट सिटी बनाने की नहीं बल्कि स्मार्ट गांव बनाने की है। आज़म खां ने कहा कि जब गांव स्मार्ट होंगे तो लोगों का स्तर उठेगा और फिर शहर अपने आप स्मार्ट हो जाएंगे। यूपी में यह काम पहले से चल रहा है। अपने सरकारी निवास पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे गांव देखकर आएं। गांव स्मार्ट बनाने का काम यूपी सरकार कर रही है। यहां तो केन्द्र सरकार सियासी चाल चलते हुए पुरानी योजनाओं को बंद कर रही है और नयी योजनाओं पर कोई काम नहीं हो रहा है।
आजम खां ने यूपी के शहरी क्षेत्र के विकास में रूकावट के लिए केन्द्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है । उन्होंने कहा कि देश के बादशाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ही संसदीय क्षेत्र में ध्यान नहीं दे रहे हैं। बात स्मार्ट सिटी की हो रही है, लेकिन केन्द्र सरकार उसमें कोई योगदान देने को तैयार नहीं है। यूपी ने जो पैसा यूपी के शहरी विकास के लिए मांगा उसका केवल पांच फीसदी धन भेजा गया। इस पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र को पत्र भी लिखा है।
आजम खां ने साफ किया कि वे बादशाह क्यों कह रहे हैं। मीडिया में दिखाया गया कि बनारस में पीएम का कैम्प आफिस बना हुआ है। सफाई अभियान के लिए केवल तस्वीरें छपीं। काम नहीं हुआ। उनके नौ रत्न बनाए गए थे। सब हटा दिए गए। नौ रत्न तो बादशाहों के होते हैं इसीलिए वे बादशाह हैं।
उन्होंने बताया कि केन्द्र की कई योजनाएं यूपी में बंद हो गई हैं। इसमें एसटीपी की योजना, गंगा नदी सफाई योजना, आश्रय योजना मुख्य हैं। गंगा सफाई और एसटीपी की दिल्ली के मुहाने से लेकर बलिया तक की योजनाएं बनाकर भेजी गईं। केन्द्र को लाखों करोड़ रुपए के प्रस्ताव भेजे गए। पर उसका केवल 5 प्रतिशत धन ही पास किया गया। इसका विरोध उन्होंने किया है। जल्द ही इस पर बात की जाएगी।
स्लाटर हाउस के मुद्दे पर बोलते हुए आजम खां ने कहा कि अधिकांश स्लाटर हाउस गैर मुसलमानों के हैं। उन्होंने कहा कि 80 फीसदी स्लाटर हाउस किसी जैन साहब या किसी अन्य गैर मुस्लिम के हैं। पर सियासत मुसलमानों के स्लाटर हाउस को लेकर होती है।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में पशु कटते हैं। हत्या बुरी बात है। चाहे इंसानों की हो या जानवरों की। अब स्लाटर हाउस के लाइसेंस लेने के लिए जो लोग आते हैं उनमें यहां सबसे ज्यादा गैर मुसलमान होते है। पर बदनामी का ठीकरा मुसलमानों पर फूटता है। बडे बडे होटलों में बीफ के रेट लिखे होते हैं। पर उनको लेकर सियासत नहीं होती। मुसलमान और स्लाटर हाउस को लेकर यूपी में खासी राजनीति होती है। यह अच्छी बात नहीं है।