प्रकृति समता और सद्भाव का संदेश देती है: जलपुरूष
श्री जयनारायण महाविद्यालय में राजेन्द्र सिंह का हुआ सम्मान
लखनऊ: श्री जयनारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जलपुरूष राजेन्द्र सिंह को स्टाकहोम जल पुरस्कार से सम्मानित होने पर स्मृति चिन्ह एवं एवं अंगवस्त्रंम प्रदान कर सम्मानित एवं अभिवादन किया गया। श्री राजेन्द्र सिंह विश्व जल शान्ति यात्रा के अवसर पर महाविद्यालय परिसर में आये थे। उन्होनें इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने उदगार व्यक्त करते हुये कहा कि हमारा शरीर पंचभूतो से बना है- क्षिति, जल, पावक, गगन और वायु का संरक्षण एवं संवर्धन प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है। प्रकृति समता और सद्भाव का संदेश देती है, हमें सृष्टि के प्रति जागरूकता एवं उत्तरदायित्व निभाते हुये नदियों की शुद्धता एवं संरक्षण के प्रति कटिबद्ध होना होगा। प्रत्येक कुम्भ इस कार्य के लिए हमारा प्रथम आयाम होना चाहिए। हमें सेनफ्राँसिस्को से प्रेरणा लेनी चाहिए जहाँ बोतल बन्द पानी की बिक्री बन्द कर दी गई है क्यांेकि वहाँ के लोगों ने जल की पूरी तरह सफाई कर ली है। श्री राजेन्द्र सिंह ने महाविद्यालय को अपने घर जैसा बताया और दिये गये सम्मान के लिए हार्दिक प्रसन्नता एवं आभार व्यक्त किया। उन्होंने छात्रों का आवाह्न किया कि वे अपने क्षेत्र में जल बचाने एवं जल स्रोतों को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए कार्य करें तभी विश्व शान्ति संभव है। इसके पूर्व महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ0एस0डी0शर्मा ने जल पुरूष राजेन्द्र सिंह का पुष्प गुच्छ से स्वागत एवं अभिनन्दन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय मंत्री प्रबंधक जी0सी0शुक्ला ने जल प्रदूषण को रोकने एवं जल संचयन के सम्बन्ध में सरकार द्वारा संचालित अनेकों योजनाओं का जिक्र किया और महाविद्यालय को भी इस कार्य में योगदान के लिए प्रेरित किया। राज्य लायजनिंग अधिकारी अंशुमालि शर्मा ने राजेन्द्र सिंह से छात्र-छात्राआंे के अनुरोध पर सभागार में जल वर्षा की अनुभूति कराने का निवेदन किया जिसे श्री सिंह ने स्वीकार कर तालियों के प्रयोग से जल वर्षा की घ्वनि सुनवाई। इस कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 विजय राज श्रीवास्तव ने किया। संचालन में डाॅ0 समन खान ने सहयोग किया। महाविद्यालय के कलासंकाय प्रभारी डाॅ0 एस0सी0हजेला ने सभी आंमत्रित अतिथियों एवं उपस्थित छात्र-छात्राओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के कई शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।