गजेन्द्र को हटाकर राहुल को क्रेडिट नहीं देना चाहती थी सरकार
नई दिल्ली। एफटीआईआई (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) के डायरेक्टर गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति का मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि मामले में राहुल गांधी के शामिल होने की वजह से अब सरकार अपने फैसले पर अड़ गई है।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति को लेकर हुए विरोध के बाद उन्हे हटाने का फैसला कर लिया था। लेकिन मामले में राहुल के शामिल होने के बाद अब सरकार ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहती है। सरकार अब अपने फैसले पर अड़ गई है जबकि पहले गजेन्द्र को हटाकर फिल्ममेकर राजू हिरानी को संस्थान की जिम्मेदारी देने का फैसला कर लिया था।
गौरतलब है कि गजेन्द्र की नियुक्ति के बाद से ही एफटीआईआई के छात्र धरने पर बैठे हुए हैं। धरना लगभग 87 दिनों से जारी है और अब इंस्टीट्यूट के एक टीचर ने भी भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
पुणे के एफटीआईआई विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दखल देने की मांग की गई है जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इससे पहले सरकार गजेन्द्र को हटाने के लिए तैयार थी। एफटीआईआई में आंदोलन कर रहे छात्रों का गुट जब दिल्ली आया तो सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इसकी जानकारी उन्हें भी दी थी। तभी राहुल पुणे पहुंच गए और आंदोलनकारी छात्रों का समर्थन किया जिसके बाद आंदोलन तेज हो गया और दिल्ली से लौटने के बाद छात्रों ने सरकार का प्रस्ताव ना मंजूर कर दिया जिसके बाद सरकार ने भी इसपर अपना रुख कड़ा कर दिया।