गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए केवल चिन्ता नहीं कुछ करने की जरूरत: नाईक
राज्यपाल ने पत्रिका हिन्दी विवेक के गंगा विशेषांक का लोकार्पण किया
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित एक समारोह में मुंबई से प्रकाशित पत्रिका ‘हिन्दी विवेक‘ के गंगा विशेषांक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्यपाल की पत्नी श्रीमती कुंदा नाईक, पूर्व मंत्री एवं विख्यात स्तम्भकार हृदयनारायण दीक्षित, वीरेन्द्र याज्ञनिक, पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्यपाल ने लोकार्पण के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्राथमिकताओं में अविरल, निर्मल गंगा का संकल्प लेते हुए नमामि गंगे परियोजना का शुभारम्भ किया है। गंगा नदीं में अनेकों नाली-नाले एवं गंदगी प्रवाहित हो रही हैं जिसके कारण नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। पवित्र मानी जाने वाली गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प लेने की जरूरत है। गंगा को पवित्र और अविरल बनाये रखने के लिए सामाजिक जागृति जरूरी है। उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए केवल चिन्ता नहीं कुछ करने की जरूरत है।
श्री नाईक ने कहा कि पत्रिका ‘हिन्दी विवेक‘ के गंगा विशेषांक का लखनऊ में लोकार्पण होना पत्रकारिता में एक ऐतिहासिक कदम है। लखनऊ में इस विशेषांक का लोकार्पण विशेष महत्व रखता है। पत्रिका में काम करने वालों की मातृभाषा मराठी है मगर वे हिन्दी में काम कर रहे हैं। इस लोकार्पण से उत्तर प्रदेश में मराठी और हिन्दी का एक नया रिश्ता बना है। उन्होंने कहा कि राजभवन में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं लेकिन गंगा विशेषांक का लोकार्पण अपने आप में विशेष है।
वरिष्ठ स्तम्भकार हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि गंगा विशेषांक के साथ-साथ ‘हिन्दी विवेक‘ स्वागतयोग्य है। उन्होंने गंगा के आध्यात्मिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला।
श्री वीरेन्द्र याज्ञनिक ने कहा कि पत्रिका ‘हिन्दी विवेक‘ की यात्रा गोदावरी से शुरू होकर गंगा विशेषांक के साथ गोमती तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि पत्रिका का प्रकाशन राष्ट्रीय चेतना एवं विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए किया गया था।